पर्यावरण का समतोल बनाये रखने की जिम्मेदारी केवल हम इंसानों पर ही नहीं बल्कि जानवरों का खाना भी पर्यावरण का समतोल बनाने और बिगाड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। दरअसल पशुओं से निकलने वाली मीथेन गैस एक बड़ी समस्या बनी हुई है। क्लाइमेट चेंज में इस गैस का बड़ा रोल माना जाता है। जुगाली करने वाले पशु इस गैस का उत्सर्जन अधिक करते हैं। पशुओं की डकार और गैस से मीथेन का उत्सर्जन होता है। इस बड़ी समस्या के समाधान के लिए पुणे की एक कंपनी आगे आई है। इस कंपनी का नाम है ईफीड। ईफीड का दावा है की वे पशुओं से निकलने वाली मीथेन गैस को नियंत्रण में ला सकते हैं।
पशु के मीथेन रिलीज के बारे में जानकारी जुटाना मुश्किल
पशुओं से निकलने वाली मीथेन गैस की समस्या पूरी दुनिया में है। लेकिन इसका ठोस समाधान निकालना इसलिए मुश्किल है क्योंकि हर पशु पर कोई सेंसर नहीं लगाया जा सकता जो बताए कि कहां से कितना मीथेन रिलीज हो रहा है। हालांकि कई कंपनियों ने दावा किया है कि मीथेन नापने के लिए सेंसर बना लिया गया है। मगर हर पशु के मीथेन रिलीज के बारे में जानकारी जुटाना मुश्किल है।
मीथेन का उत्सर्जन रोकने के लिए पशुओं के चारे पर ध्यान देना आवश्यक
ई-फीड के फाउंडर कुमार रंजन कहते हैं, मीथेन की समस्या को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिये पहचाना जा सकता है। पिछले दो साल से इससे जुड़े आंकड़े को जुटाया गया है। इससे पता चला है कि मीथेन रिलीज पूरी तरह से पशुओं के भोजन से जुड़ा है। अगर पशुओं को खराब क्वालिटी का खाना खिलाया जाएगा तो वे अधिक मीथेन गैस रिलीज करेंगे। इसलिए मीथेन का उत्सर्जन रोकने के लिए पशुओं के चारे और दाना पर ध्यान देना होगा।
पशुओं के मीथेन रिलीज को कम करेगा ईफीड
कुमार रंजन कहते हैं, अगर पशुओं को अच्छा खाना खिलाया जाए तो कम से कम मीथेन गैस रिलीज होगी। कुमार रंजन ने ‘बिजनेसलाइन’ से एक बातचीत में यह बात कही। ईफीड नाम का यह स्टार्टअप अभी शुरुआती काम में जुड़ा है और अभी आंकड़े जुटाए जा रहे हैं। कुमार रंजन कहते हैं कि जब सरकार डेयरी कंपनियों के लिए कार्बन क्रेडिट का नियम बनाएगी तब उनकी कंपनी को इससे बेहतर फायदा होगा क्योंकि उसके पास पर्याप्त डेटा है जिसे कंपनियों को दिया जा सकेगा।
मीथेन करता है पर्यावरण को दूषित
कंपनी का कहना है कि उसके जुटाए आंकड़े और उसकी तकनीक का सबसे अधिक फायदा डेयरी कंपनियों को मिलेगा। इससे मीथेन गैस के उत्सर्जन के बारे में पूरी जानकारी जुटाई जा सकेगी। इस कंपनी ने लखनऊ में अपना एक मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाया है जहां पशुओं के फीड बनाए जाते हैं। कंपनी का दावा है कि उसके बनाए फीड से मीथेन गैस का उत्सर्जन 13 परसेंट तक कम हो सकता है। कंपनी के फाउंडर कुमार रंजन कहते हैं कि उनके बनाए फीड से आने वाले समय में 13-14 परसेंट तक मीथेन गैस कम होगी और इसका बड़ा फायदा पर्यावरण को बचाने में मिलेगा। ई-फीड कंपनी पशुओं के लिए और भी कई प्रोडक्ट बना रही है जो पशुओं के मीथेन रिलीज को कम करेगा।