1 रुपये किलो में प्याज बेचने को मजबूर किसान

प्याज के गिरते दाम और निर्यात पर प्रतिबन्ध से प्याज किसानों का हाल बेहाल हो गया है। हालात इस कदर बिगड़ गए हैं की महाराष्ट्र के प्याज उत्पादकों को एक रुपये किलों में प्याज बेचना पड़ रहा है। यही हाल रहा तो आने वाले समय में राज्य में किसान प्याज की फसल लगाना छोड़ देंगे। सरकार दरबार में फिरयाद के बावजूद किसानों की कोई सुध नहीं ली जा रही है। केंद्र अपनी चुनावी रणनीतियों में व्यस्त है। वोटरों को लुभाने के लिए महंगाई ना बढ़ जाये इस डर से सरकार बाहरी देशों में प्याज निर्यात नहीं होने दे रहा है। केंद्र ने बड़े पैमाने पर प्याज खरीद की योजना बनाई है इससे दाम और कम होंगे।

घाटे में खेती की वजह से महाराष्ट्र में प्याज का रकबा लगातार कम

महाराष्ट्र के किसानों का कहना है कि प्याज की लागत 15 से 20 रुपये प्रति किलो के बीच आ रही है। अब अगर किसी किसान को न्यूनतम 1 रुपये किलो या औसत 10 रुपये किलो के रेट पर प्याज बेचना पड़े तो यह अंदाजा लगा लीजिए कि वह कितनी तकलीफ में होगा। औसत दाम भी इतना कम है कि उसकी लागत भी नहीं मिल पा रही है। घाटे में खेती करने की वजह से महाराष्ट्र में प्याज का रकबा लगातार कम हो रहा है। महाराष्ट्र के राहुरी मंडी प्याज का न्यूनतम दाम सिर्फ 100 क्विंटल रह गया है। जबकि उपभोक्ताओं को यही प्याज 30 से 40 रुपये किलो पर मिल रहा है।

प्याज को भी एमएसपी के दायरे में लाया जाए

महाराष्ट्र एग्रीकल्चर मार्केटिंग बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया कि 12 मार्च को राहुरी मंडी में अधिकतम दाम सिर्फ 2000 रुपये प्रति क्विंटल रहा, जबकि औसत दाम 1050 रुपये था। महाराष्ट्र कांदा उत्पादक संगठन के अध्यक्ष भारत दिघोले का कहना है कि ज्यादातर किसानों को न्यूनतम दाम मिलता है।उसके बाद और औसत दाम और सबसे कम किसानों को अधिकतम मूल्य मिलता है। इसलिए हमारा संगठन लगातार कह रहा है कि किसानों को उचित दाम मिले और प्याज को भी एमएसपी के दायरे में लाया जाए।

राज्य की कई मंडियों में न्यूनतम दाम गिरकर 2 से 3 रुपये प्रति किलो 

राहुरी में जहां 12 मार्च को 12608 क्विंटल प्याज की आवक हुई थी वहीं महाराष्ट्र में सोलापुर मंडी में 34502 क्विंटल प्याज की आवक हुई। इतनी बंपर आवक की वजह से यहां भी न्यूनतम दाम गिरकर सिर्फ 100 रुपये क्विंटल रह गया। अधिकतम दाम 2200 जबकि औसत दाम सिर्फ 1200 रुपये प्रति क्विंटल रहा। इसका मतलब इस मंडी में भी ज्यादातर किसानों को उनकी लागत का भाव नहीं मिल पाया। राज्य की कई मंडियों में न्यूनतम दाम एक बार फिर गिरकर 2 से 3 रुपये प्रति किलो रह गया है।

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