कुछ अलग करने की चाह रखने वाले तेलंगाना के इंजीनियर कपल ने खेती में मिसाल कायम की है। दोनों ने हर साल लाखों रुपये कमाकर वैकल्पिक फसल खेती में सफलता की कहानी लिखी है। रोजाना ये कपल 5 से 6 हजार रुपये कमा रहे हैं।
तेलंगाना के करीमनगर जिले के जंगपल्ली गांव के रहने वाले कर्रा श्रीकांत रेड्डी और अनुषा रेड्डी को वैकल्पिक फसल खेती में उनके योगदान के लिए राष्ट्रीय स्तर पर मॉडल किसान के रूप में मान्यता मिली है।
5 एकड़ भूमि पर फूलों की खेती
हैदराबाद में सॉफ्टवेयर कंपनी में काम करने वाले श्रीकांत ने विज्ञान में ग्रेजुएशन की डिग्री है और उनकी पत्नी अनुषा एक एयरोनॉटिकल इंजीनियर हैं। कोरोना महामारी के दौरान उन्हें कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ा। उन्हें अपने घर लौटना पड़ा। यहां वे घर से ऑफिस का काम करते थे। इस दौरान उन्होंने अपनी पांच एकड़ भूमि पर आधुनिक खेती के तरीकों से पूर्णकालिक आधार पर वैकल्पिक फसलें उगाने के बारे में सोचा।
फूलों के लिए मल्चिंग विधि
दोनों ने एक एकड़ भूमि पर गुलाब, गेंदा, गुलदाउदी, सूरजमुखी और लिली सहित फूलों की फसल उगाकर खेती शुरू की। श्रीकांत और अनुषा ने गुलाब, गुलदाउदी और गेंदा के फूलों की फसल की कटाई के लिए मल्चिंग विधि अपनाई और ड्रिप सिंचाई प्रणाली के माध्यम से फसलों को पानी उपलब्ध कराया। उन्होंने गुलदाउदी की फसल की खेती के लिए आवश्यक तापमान बनाए रखने के लिए बिजली के बल्ब भी लगाए।
मॉर्डन टेक्निक्स से कम लगत में वैकल्पिक फसलों की खेती
रेड्डी दंपति को खेती में बहुत रुचि है और उन्होंने प्रयोग के आधार पर मॉर्डन टेक्निक्स की मदद से कम लागत पर वैकल्पिक फसलों की खेती शुरू की। उन्होंने बताया कि उन्हें अपने पहले प्रयासों में सफलता मिली और इसके बाद उन्होंने किसानों से बड़े पैमाने पर वैकल्पिक फसलें उगाने के लिए अनुरोध किया।
रोजाना 5 हजार की कमाई
दोनों का मानना है कि वैकल्पिक फसलें उन किसानों की वित्तीय वृद्धि में उपयोगी होंगी जो पूरे देश को भोजन उपलब्ध कराते हैं। आज बागवानी और कृषि विभाग की तरफ से जारी गाइडेंस को सख्ती से मानते हुए, दोनों रोजाना 3000 रुपये से 5000 रुपये तक कमा रहे हैं। अब दोनों प्रति एकड़ 10 क्विंटल कुसुम बीज का उत्पादन करने योजना बना रहें हैं। एक क्विंटल कुसुम बीज का बाजार मूल्य 5000 रुपये से 6000 रुपये के बीच है।