झारखंड के किसानों के लिए राज्य सरकार की ओर से जल्द ही राहत भरी खबर मिलने वाली है। क्योंकि जल्द ही झारखंड के 17 जिलों के 158 प्रखंडों को सूखाग्रस्त घोषित किया जाएगा। इससे जुड़े प्रस्ताव को कैबिनेट में लाने की तैयारी चल रही है। इस संबंध में मंत्रालय में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत की अध्यक्षता में राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की बैठक हुई। बैठक में कृषि विभाग के प्रतिवेदन के आलोक में उक्त सभी प्रखंडों को सूखा क्षेत्र घोषित करने की अनुशंसा की गई। बैठक में मुख्यमंत्री ने आपदा प्रबंधन विभाग को इन सभी 158 प्रखंडों को सूखा क्षेत्र घोषित करने का प्रस्ताव तैयार करने का निर्देश दिया। इसे मंत्रिपरिषद की बैठक में अनुमोदन के लिए रखा जा सके।
मुख्यमंत्री ने आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे केंद्र सरकार को सहायता प्रदान करने के लिए एक प्रस्ताव भेजें ताकि वह सूखा प्रभावित किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान कर सके। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से सूखे से प्रभावित किसानों को राहत प्रदान करने के लिए उचित कदम उठाने को कहा। पिछले साल की तरह इस साल भी सूखे से प्रभावित किसानों को फौरी राहत के तौर पर 3500 रुपये दिए जाएंगे। प्रति किसान 1000 रुपये अनुग्रह राशि देने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा जिन किसानों की फसल कम बारिश के कारण 33 प्रतिशत तक खराब हुई है, उन्हें इनपुट अनुदान राशि का भुगतान किया जाएगा।
सूखा घोषित करने में देरी
हालांकि, कुछ किसानों का मानना है कि राज्य सरकार ने राज्य को सूखाग्रस्त घोषित करने के अपने फैसले में देरी की। राज्य में सूखे की स्थिति को स्थिति के अनुसार विलंबित कर दिया गया है। क्योंकि किसान लगातार दूसरी बार सूखे का सामना कर रहे हैं, उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो गई है। अगर पिछले विभाग द्वारा राज्य को पहले ही सूखाग्रस्त घोषित किया गया होता, तो किसानों को पहले ही सहायता मिल गई होती। जिसका उपयोग वे रबी फसल की खेती के लिए कर सकते थे। क्योंकि सूखा घोषित होने के बाद राहत राशि मिलने में समय लगता है। ऐसे में किसानों को खेती करने में देर हो रही है।
158 प्रखंडों में सूखे की स्थिति
राज्य में इस साल कम बारिश के कारण 17 जिलों के 158 प्रखंडों में सूखे की स्थिति है। पिछले साल, राज्य सरकार ने राज्य के किसानों को सूखा राहत प्रदान करने के लिए मुख्यमंत्री सूखा राहत योजना शुरू की थी। जिसके तहत प्रति किसान 3500 रुपये की सहायता देने का प्रावधान किया गया था। हालांकि पिछली बार योजना का लाभ लेने के लिए करीब 28 लाख किसानों ने आवेदन किया था, लेकिन सिर्फ 12 लाख किसानों के खाते में राहत राशि भेजी गई थी। इस वजह से कई किसानों में योजना को लेकर असंतोष की भावना है।