इस साल गन्ना, कपास,धान, सरसों और आलू की कटाई में देरी के कारण कई किसान गेहूं की बुआई काफी देर से कर रहे हैं। ऐसे में भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान (आईआईडब्ल्यूबीआर) ने प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों के लिए कुछ सबसे उपयुक्त किस्मों की सिफारिश की है। साथ ही इसकी बुआई 25 दिसंबर तक पूरी करने को कहा गया है। सामान्य से अधिक गर्मी के पूर्वानुमान के मद्देनजर, केंद्र सरकार कई कदम उठा रही है ताकि किसानों को गेहूं की खेती से नुकसान न हो। इसके तहत 60 प्रतिशत गेहूं क्षेत्र को जलवायु प्रतिरोधी किस्मों से आच्छादित करने का लक्ष्य रखा गया है। अगर ऐसा होता है तो हीटवेव का उत्पादन पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा।
यह भी कहा गया है कि अब गेहूं की सामान्य बुवाई की अवधि समाप्त हो गई है, किसान देर से पकने वाली किस्मों की बुवाई कर सकते हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के अनुसंधान निकाय आईआईडब्ल्यूबीआर द्वारा जारी परामर्श के अनुसार पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, के कुछ हिस्सों और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के उत्तर-पश्चिम मैदानों में पीबीडब्ल्यू 752, पीबीडब्ल्यू 771, डीबीडब्ल्यू 173, जेकेडब्ल्यू 261, एचडी 3059 और डब्ल्यूएच 1021 किस्मों की बुवाई की सिफारिश की गई है।
पूर्वी यूपी और बिहार के लिए सलाह
संस्थान ने पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, , पश्चिम बंगाल और झारखंड के लिए डीबीडब्ल्यू 316, पीबीडब्ल्यू 833, डीबीडब्ल्यू 107, एचडी 3118 किस्मों की बुवाई का सुझाव दिया है। मध्य प्रदेश, गुजरात और राजस्थान के किसानों को एचडी 3407, , एचआई 1634, सीजी 1029, एमपी 3336 किस्मों का चयन करने के लिए कहा गया है। हालांकि, , इन राज्यों में कहीं भी एचडी 3271, एचआई 1621 और डब्ल्यूआर 544 की बुवाई की जा सकती है।
कैसे करें एनकेपी का उपयोग
आईआईडब्ल्यूबीआर के निदेशक ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि देर से बुआई के दौरान, प्रत्येक हेक्टेयर में इनमें से किसी भी किस्म के 125 किलोग्राम बीज का उपयोग करना चाहिए। पंक्ति से पंक्ति की दूरी 18 सेमी रखी जानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि एक तिहाई नाइट्रोजन (एन) और पूर्ण फास्फोरस (पी) और पोटाश (के) को बुवाई की शुरुआत में दो बराबर भागों में डायवर्ट किया जाना चाहिए और सिंचाई के पहले और दूसरे दौर में शेष नाइट्रोजन डाला जाना चाहिए। एडवाइजरी में कहा गया है कि खरपतवार को नियंत्रित करने के लिए पाइरोक्सालफोन 85 @ 60 ग्राम प्रति एकड़ का छिड़काव किया जा सकता है।
बुवाई से पहले क्या करें
उधर, पूसा ने भी गेहूं की खेती को लेकर एडवाइजरी जारी की है. इसमें कहा गया है कि बुवाई से पहले बीजों को बाविस्टिन @1.0 ग्राम या थाइरम @2.0 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित किया जाना चाहिए @ । किसानों को क्लोरपायरीफॉस (20 ईसी) @ 5.0 लीटर प्रति हेक्टेयर को पलेवा के साथ या सूखे खेतों में जहां दीमक का संक्रमण है, छिड़काव करना चाहिए। कृषि वैज्ञानिकों ने कहा गेहूं के खेत में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश उर्वरकों की मात्रा 80, 40 और 40 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर होनी चाहिए।