गन्ना भुगतान को लेकर 26 दिसंबर को लखनऊ में प्रदर्शन करेंगे किसान, योगी सरकार पर लगाया आरोप

Sugarcane farmers

उत्तर प्रदेश में किसानों के गन्ना समर्थन मूल्य और बकाया गन्ना भुगतान की मांग को लेकर राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) लखनऊ में प्रदर्शन करेगा। राष्ट्रीय लोकदल मांग करेगा कि 14 दिनों के भीतर गन्ने का बकाया ब्याज के साथ भुगतान किया जाए। राष्ट्रीय लोकदल के त्रिलोक त्यागी ने पत्र जारी करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश ने अभी तक राज्य में गन्ना मूल्य का भुगतान नहीं किया है। इससे प्रदेश के गन्ना उत्पादक किसान परेशान हैं और बिना दाम जाने इसे बेचने को मजबूर हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि यह सरकार द्वारा किसानों के साथ किया जा रहा सरासर अन्याय है।

उत्तर प्रदेश के पड़ोसी राज्यों पंजाब और हरियाणा का जिक्र करते हुए पत्र में कहा गया है कि पंजाब में गन्ना किसानों को 391 रुपये प्रति क्विंटल जबकि हरियाणा में गन्ना किसानों को 400 रुपये प्रति क्विंटल दिए जा रहे हैं। जबकि उत्तर प्रदेश के किसान पूर्व में घोषित 350 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गन्ना मिलों तक गन्ना पहुंचा रहे हैं। इस तरह प्रदेश में गन्ने से किसानों का शोषण हो रहा है। 24 दिसंबर को लखनऊ में विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।

स्वामीनाथन आयोग के अनुसार तय हो गन्ने की एमएसपी

राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) ने स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के आधार पर गन्ना मूल्य तय करने की मांग की है, राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) ने एक पत्र में कहा है कि राज्य में किसानों को इस बुरी स्थिति से बाहर निकालने के लिए वे राज्य सरकार से मांग करते हैं कि वह राज्य में आलू के भंडारण की उचित व्यवस्था करे। इसके साथ ही यह सुनिश्चित किया जाए कि प्रदेश में आलू उचित मूल्य पर खरीदा जाए। ताकि प्रदेश के आलू किसानों को घाटे से बचाया जा सके।

आलू भंडारण की सुविधा

इसके अलावा यह भी मांग की गई है कि प्रदेश के गन्ना किसानों का भुगतान गन्ना अधिनियम के अनुसार 14 दिन के भीतर किया जाए। 14 दिन के अंदर भुगतान नहीं होने पर किसानों को 15 प्रतिशत ब्याज के साथ भुगतान किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य में कानून लागू होने के बाद भी पिछले छह साल से किसानों को इस कानून का लाभ नहीं मिल रहा है। लखनऊ में होने वाले विरोध प्रदर्शन के दौरान प्रदेश के आलू किसानों के हित में भी मांग की जाएगी और प्रदेश में भंडारण सुविधाएं विकसित करने की मांग की जाएगी। क्योंकि भंडार बिजली न होने के कारण किसानों को सस्ते दाम पर आलू बेचना पड़ रहा है।

 

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