उत्पादन को बढ़ाने के चक्कर में फसल में कई तरह के खाद उपयोग किए जा रहें हैं जो फसलों के लिएं वरदान की जगह अभिशाप बनते जा रहें हैं। केमिकल फर्टिलाइजर और पेस्टिसाइड्स का उपयोग मिट्टी की सेहत को बुरी तरह से बिगाड़ रहा है। ऐसे में इन केमिकल फर्टिलाइजर के उपयोग की वजह से एग्रीकल्चरल ज़मीन बंजर होने की कगार पर आ गई है।
पंचगव्य मिट्टी के लिए वरदान
ऐसे में एक ऐसा फर्टिलाइजर वैज्ञानिकों द्वारा बनाया है जो मिट्टी के लिए वरदान साबित हो रहा है। इस फर्टिलाइजर को तैयार करने के लिए 5किलोग्राम देसी गाय का गोबर, 3 लीटर गौमूत्र, 2 लीटर गाय का दूध, 500 ग्राम देशी गाय का घी और 2 लीटर गाय के दूध का दही, 3 लीटर गन्ने का रस, 3 लीटर नारियल का पानी, 12 पके हुए केले और 2 लीटर अंगूर का रस से एक जैविक उत्पाद पंचगव्य तैयार किया जा सकता है. जिससे फसलों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी. फसलों में कीट कम लगेंगे और अच्छा उत्पादन मिलेगा.
तैयार करने की विधि
इस पदार्थ को तैयार करने के लिएं एक मिट्टी का मटका, कंक्रीट से बने हुए टैंक का उपयोग किया जा सकता है। इस पदार्थ के लिएं धातु या मेटल के बर्तन का उपयोग करने से बचे। इसे बनाने के लिएं सबसे पहले गोबर और घी को प्लास्टिक के ड्रम में डाले , इसके बाद लागातार कुछ दिनो तक इसे मिलाते रहें इसके बाद इसमें बाकी सामग्री मिला लें। जिसके बाद अगले दो हफ्तों तक इसे डंडे के सहारे से चलाते रहें। इसके बाद इसे तीन हफ्तों के लिएं एक अंधेरी जगह पर ढककर रख दें जिसके बाद ये मिश्रण बनाकर तैयार हो जायेगा।
ऐसे करे इसका उपयोग
पंचगव्य के तीन लीटर मिश्रण को 100 लीटर पानी में मिलाए जिसके बाद इसको अच्छी तरह छान कर फसलों पर छिड़काव कर दे। इसका मतलब ड्रिप सिंचाई और नई फसलों की बुवाई के दौरान किया जाता है। नए बीज उगाने से पहले पंचगव्य मे बीजों को आधे घंटे भिगोने के बाद छांव में सुखाना पड़ेगा।