लगातार महंगाई बढ़ती जा रही है और इसका सीधा असर आम लोगों की जेब पर पड़ रहा है। नवंबर-दिसंबर में खाद्य पदार्थों और सब्जियों की कीमतों में लगातार वृद्धि से खाद्य मुद्रास्फीति पर दबाव बढ़ गया है। दालों की महंगाई दर नवंबर में 20 फीसदी के पार पहुंच गई. अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि भारत की प्रमुख खुदरा मुद्रास्फीति दर दिसंबर में 4 महीने के उच्च स्तर पर पहुंच जाएगी।
नवंबर से दिसंबर तक खाद्य पदार्थों और सब्जियों की कीमतों में वृद्धि से खाद्य मुद्रास्फीति पर दबाव बढ़ गया है। दालों की महंगाई दर नवंबर में 20 फीसदी को पार कर गई, जबकि केले की कीमतों में 16 फीसदी का उछाल आया। इसके अलावा खाद्य मुद्रास्फीति लगातार 15वें महीने दहाई अंक में बढ़ी। आटा, लहसुन सहित अन्य सब्जियों की कीमतों में वृद्धि ने खाद्य मुद्रास्फीति में वृद्धि का संकेत दिया है। वहीं, भारत की प्रमुख खुदरा महंगाई दर दिसंबर में 4 महीने के उच्च स्तर पर पहुंचने की उम्मीद है।
खुदरा महंगाई बढ़ने की आशंका
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित खुदरा मुद्रास्फीति नवंबर में सालाना आधार पर बढ़कर 5.55 प्रतिशत पर पहुंच गई। जबकि, इससे पहले अक्टूबर में महंगाई दर 4.87 फीसदी थी। तेल, आटा, सब्जियों समेत अन्य खाद्य पदार्थों की कीमतों पर दबाव के कारण दिसंबर के लिए खुदरा महंगाई दर 5.9 फीसदी तक पहुंचने का अनुमान है। अर्थशास्त्रियों के सर्वेक्षण के अनुसार, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति नवंबर में 5.55 प्रतिशत से बढ़कर 5.9 प्रतिशत होने की उम्मीद है।
दालों, सब्जियों और अनाज की महंगाई
उपभोक्ता मामलों के विभाग के आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर में टमाटर, आलू और प्याज की कीमतें नवंबर की तुलना में कम थीं। हालांकि, आटा, खाद्य तेल, दाल और चावल की कीमतों पर दबाव बना हुआ है। क्रिसिल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दालों की कीमतें भी सालाना आधार पर 24% बढ़ी हैं। अनाज की मुद्रास्फीति लगातार 15वें महीने दोहरे अंक में बढ़ी और दालों की मुद्रास्फीति लगातार छठे महीने दहाई अंक में बढ़ी। नवंबर में सब्जियों की महंगाई दर 17.7% दर्ज की गई थी।
खाद्य मुद्रास्फीति बढ़ने का संकेत
खाद्य मुद्रास्फीति अक्टूबर में 6.61 प्रतिशत थी, जो नवंबर में बढ़कर 8.70 प्रतिशत हो गई। वहीं, दिसंबर में खाद्य महंगाई दर 9 फीसदी के आंकड़े को पार कर सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि दिसंबर में भी मुद्रास्फीति ऊंची बनी रह सकती है और फसलों पर दबाव जारी रहने से खाद्य पदार्थों की कीमतें साल के बाकी समय में ऊंची बनी रह सकती हैं।