देशभर में महंगाई से हाल बुरा है और आम लोगों को महंगाई का सामना करना पड़ रहा है। अभी कुछ दिन पहले ही टमाटर की कीमतों ने लोगों को खूब रुलाया था। जिसके बाद अब लहसुन की बारी है। बाजार में सब्जियों के दाम एक के बाद एक आसमान छूने को तैयार हैं। जिसकी वजह से लोगों के घर का बाजार खस्ताहाल नजर आ रहा है। इनमें से अगर हम सब्जियों की बात करें। हर सब्जी में इस्तेमाल होने वाले लहसुन का चलन अपने चरम पर है और अब कीमत 300 रुपये के पार जाने वाली है।
अगर लहसुन की कीमत की बात करें तो कुछ ही हफ्तों में यह 100 रुपये से बढ़कर 300 रुपये प्रति किलो होने वाला है। लहसुन की कीमतों में बढ़ोतरी के लिए कई कारण बताए जा रहे हैं। लेकिन अगर हम मुख्य कारण के बारे में बात करते हैं, तो यह लहसुन का कम उत्पादन है। लहसुन की सबसे ज्यादा खेती मध्य प्रदेश में की जाती है। लेकिन पिछले साल लहसुन के उत्पादन में करीब 8 फीसदी की कमी आई है। लहसुन की फसल में किसानों को सालों से नुकसान हो रहा था। जिसके चलते उन्होंने लहसुन की खेती कम कर दी। और यही वजह है कि लहसुन के दाम आसमान छू रहे हैं।
फिलहाल नई फसल के बाद ही घटेंगे दाम
लहसुन के व्यापारियों का कहना है। लहसुन की नई फसल बाजार में आने के बाद ही लहसुन की कीमत में कमी आने की संभावना है। बारिश के कारण फसलों की रोपाई में भी समय लगा है। इसलिए नई फसल के आने में देरी हो रही है। खरीफ की फसल आने के बाद ही लहसुन की कीमतों में कमी आएगी। इसका मतलब है कि फरवरी के अंत तक लहसुन की कीमतों में कुछ कमी आ सकती है।
एमपी में होता है सबसे ज्यादा उत्पादन
इसके बाद सितंबर में लहसुन की कटाई की जाती है। इसके अलावा रबी सीजन का लहसुन सितंबर से नवंबर के बीच बोया जाता है, जबकि इसकी कटाई मार्च में की जाती है। लेकिन इस बार रबी सीजन की रोपाई में देरी हुई है, जिसकी वजह से कीमतों में बढ़त देखने को मिल रही है। मध्य प्रदेश देश में लहसुन का सबसे बड़ा उत्पादक है। यह राज्य देश का कुल 31.64 लाख टन है। लहसुन उत्पादन का 62.85 प्रतिशत उत्पादन करता है। लेकिन इस साल, मध्य प्रदेश और उत्तर भारतीय राज्यों में मानसून में देरी के कारण लहसुन की बुवाई में देरी हुई है। इसलिए, खरीफ लहसुन सितंबर के बजाय नवंबर के अंतिम सप्ताह में बाजार में आया। वहीं, जनवरी महीने तक ही यह पूरी तरह से बाजार में उपलब्ध हो जाएगा।