बकरी के दूध के गुणों को देखते हुए बाजार में लगातार बकरी के दूध की डिमांड बढ़ रही है। दुनिआ में लगभग तीन चौथाई आबादी बकरी के दूध का सेवन करती है। यह आंशिक रूप से विकासशील देशों में गायों के विपरीत बकरियों को रखने में आसानी के कारण है, जहां बकरी का दूध कैलोरी, प्रोटीन और वसा का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। कई देशों में लोग गाय के दूध की अपेक्षा बकरी के दूध को प्राथमिकता देते हैं। गाय की अपेक्षा बकरी का दूध गाढ़ा होता है। ये दूध पचने में आसान है। साथ ही दूध से होने वाली एलर्जी का भी खतरा नहीं होता है। इसे पिने से ह्रदय स्वस्थ भी बेहतर रहता है।
कई राज्य में तेजी से बढ़ रहा है बकरी पालन
भारत में हर साल बकरी के दूध का प्रोडक्शन भी बढ़ रहा है। लेकिन अभी प्रोडक्शन बढ़ने की रफ्तार उतनी नहीं है जैसी गाय-भैंस की है। लेकिन जिस तरह से बकरी पालन रफ्तार पकड़ रहा है उस हिसाब से दूध का उत्पादन बढ़ना तय माना जा रहा है। डेयरी एक्सपर्ट की मानें तो गुजरात में कमर्शियल स्तर पर दो से तीन बकरी फार्म पर काम भी शुरू हो गया है। अभी बकरी के दूध का कारोबार असंगठित हाथों में है। लेकिन ये तय है कि जैसे ही ये संगठित होगा तो डेयरी से जुड़े कुछ बड़े प्लेयर बकरी के दूध कारोबार में भी आ जाएंगे। जैसे आज अमूल ऊंट का पैक्ड दूध बेच रही है। एक सरकारी आंकड़े के मुताबिक दक्षिण भारत के कई राज्यों में बकरी पालन तेजी से बढ़ रहा है।
कलेक्शन में आ रही दिक्कत
इंडियन डेयरी एसोसिएशन के प्रेसिडेंट और अमूल के पूर्व एमडी डॉ. आरएस सोढ़ी बताया कि डेयरी के कई बड़े प्लेयर की बकरी के दूध पर नजर है। बाजार भी अच्छा है। लेकिन सबसे बड़ी परेशानी बकरी का दूध कलेक्शन करने में आती है। किसी के पास पांच बकरी हैं तो किसी के पास 10 इस तरह से पांच-दस लीटर दूध कलेक्ट करने के लिए अलग-अलग दिशा में कई-कई किमी तक जाना पड़ता है। इसमे वक्त भी खराब होता है और लागत भी ज्यादा आती है। बड़े बकरी फार्म की संख्या़ अभी कम है। कई लोगों ने बड़े बकरी फार्म की शुरुआत कर दी है।
बकरी के दूध को ऑर्गेनिक कहना गलत नहीं
गुरू अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी (गडवासु), लुधियाना के वाइस चांसलर डॉ. इन्द्रजीत सिंह का कहना है कि डॉक्टर भी दवाई के रूप में बकरी का दूध पीने की सलाह दे रहे हैं।बकरी के चरने की व्यवस्था को देखकर इसके दूध को ऑर्गेनिक भी कहा जा सकता है। बकरी का दूध भी विटामिन ए का एक उत्कृष्ट स्रोत है। अध्ययनों से पता चलता है कि पर्याप्त विटामिन ए का सेवन मोतियाबिंद, कुछ प्रकार के कैंसर के खतरे को कम करने में मदद कर सकता है और यहां तक कि बच्चों को खसरे से लड़ने में भी मदद कर सकता है।
गाय और सोया के मुकाबले अधिक प्रोटीन
मानक गाय के दूध, सोया दूध, या अखरोट के दूध की तुलना में, बकरी के दूध में प्रति सेवन अधिक प्रोटीन होता है। यह हल्का और पचने में आसान होता है. बकरी के दूध में बादाम के दूध या चावल के दूध की तुलना में काफी अधिक प्रोटीन होता है।
बकरी का दूध हाई कोलेस्ट्रॉल वाले लोगों में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद कर सकता है। अध्ययनों से पता चला है कि बकरी का दूध धमनियों और पित्ताशय में कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है।