अगले साल यानी 2024 में वैश्विक बाजार में अनाज की कीमतों में गिरावट आने की संभावना है। विश्व बैंक और फिच सॉल्यूशंस की शोध एजेंसी बीएमआई ने यह अनुमान लगाया है। हालांकि, उनका मानना है कि भारत द्वारा निर्यात पर लगाए गए अपवाद और अल नीनो के प्रभाव के बारे में चिंताओं को देखते हुए चावल मजबूत रह सकता है। विश्व बैंक ने अपने कमोडिटी आउटलुक में कहा है कि वैश्विक स्तर पर अनाज की आपूर्ति में सुधार के कारण मक्का और गेहूं की कीमतों में लगातार गिरावट से अगले साल चावल की ऊंची कीमतों की भरपाई होने की उम्मीद है।
रिसर्च एजेंसी बीएमआई के अनुसार, सीबीओटी पर मक्का, सोयाबीन और गेहूं वायदा में 2024 में सालाना आधार पर क्रमश: 9.9 फीसदी, 3.9 फीसदी और 5.7 फीसदी की गिरावट आने का अनुमान है। 2023-24 सीजन के दौरान कई प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में बंपर पैदावार के कारण बाजार में गिरावट आ सकती है। रूस में जहां गेहूं के अधिक उत्पादन का अनुमान लगाया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर ब्राजील से वैश्विक बाजार का अनुमान लगाया जा रहा है। इससे मक्का और सोयाबीन की अधिक मात्रा में आपूर्ति होने का अनुमान है।
फर्टिलाइजर की कीमतों में भी आएगी गिरावट
बीएमआई ने कहा है कि कृषि उत्पादन की लागत के संदर्भ में, ईंधन और उर्वरक की कम कीमतों से भी अगले साल अनाज की औसत कीमत में कमी आने की उम्मीद है। हालांकि, अगले एक साल में ईंधन और उर्वरक की कीमतों के लिए अभी भी जोखिम है। वहीं विश्व बैंक ने अपने कमोडिटी आउटलुक में कहा है कि खाद्य तेलों की आपूर्ति लगातार बढ़ रही है। खासकर सोयाबीन तेल की आपूर्ति में ज्यादा बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। दरअसल इस साल सोयाबीन का उत्पादन 9 फीसदी ज्यादा रहने का अनुमान है। अगले साल मक्के की कीमतों में 8 फीसदी की गिरावट आने का अनुमान है।