दालों की महंगाई पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने तुअर और उड़द दाल के आयात पर आयात शुल्क छूट को मार्च 2025 तक बढ़ा दिया है। इस फैसले के बाद आयातकों को दालों की खरीद पर शुल्क नहीं देना होगा, जिससे दालों की कीमत में नरमी आएगी। जबकि, दाल का आयात बढ़ने से बाजार में उपलब्धता भी बढ़ेगी। पिछले सप्ताह सरकार ने मसूर दाल पर आयात शुल्क में छूट दी थी। इसे भी 2025 तक बढ़ा दिया गया है।
खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ने से नवंबर में खाद्य महंगाई दर 8.70 फीसदी पर पहुंच गई है। खाद्य महंगाई दर लगातार 3 महीने से बढ़ती हुई नजर आ रही है। अकेले दालों की महंगाई दर 20 फीसदी को पार कर गई है। जबकि, अक्टूबर में दालों की महंगाई दर 18 फीसदी दर्ज की गई थी। दालों समेत अन्य खाद्यान्नों की महंगाई बढ़ने से खुदरा महंगाई भी बढ़ रही है। आगामी लोकसभा चुनाव इसे देखते हुए महंगाई दर को नीचे रखना सरकार के लिए चुनौती बना हुआ है।
बाजार में उपलब्धता बढ़ाना जरूरी
दालों की महंगाई दर को नीचे लाने के लिए सरकार ने तुअर और उड़द दाल के आयात पर आयात शुल्क छूट को मार्च 2025 तक बढ़ा दिया है। इस छूट को बढ़ाने का मकसद दाल आयातकों पर वित्तीय बोझ कम करना है और इससे दाल आयात को प्रोत्साहन मिलेगा। हालांकि, अगर आयात से बाजार में दालों की उपलब्धता पर्याप्त होती है, तो इससे खुदरा कीमतों को नीचे रखने में मदद मिलेगी। वहीं, केंद्र सरकार ने पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना को 5 साल के लिए बढ़ा दिया है। ऐसे में योजना के तहत वितरण के लिए भी दाल की जरूरत पड़ेगी।
डीजीएफटी ने आयात छूट पर परिपत्र जारी किया
विदेश व्यापार महानिदेशक (डीजीएफटी) द्वारा जारी परिपत्र के अनुसार, केंद्र सरकार ने गुरुवार को तुअर और उड़द दाल को दी गई आयात शुल्क छूट को एक और साल के लिए 31 मार्च 2025 तक बढ़ा दिया। अक्टूबर 2021 से प्रभावी यह छूट अब 31 मार्च 2025 तक जारी रहेगी। पिछले हफ्ते 23 दिसंबर को, केंद्र ने मसूर दाल के लिए आयात शुल्क छूट को मार्च 2025 तक एक साल के लिए बढ़ा दिया।
देश में अरहर और उड़द के उत्पादन में गिरावट का अनुमान
घरेलू उत्पादन में गिरावट के कारण पिछले दिनों तुअर की कीमतों में उछाल आया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि खरीफ सीजन में अरहर और उड़द का उत्पादन पिछले 3 साल में अपने सबसे निचले स्तर पर आ सकता है । 2023 के खरीफ सीजन में तुअर का उत्पादन लगभग 3.22 मिलियन टन हो सकता है, उड़द का उत्पादन पिछले साल के 1.77 मिलियन टन से लगभग 1.6 मिलियन टन होने का अनुमान है।