देश में जल्दी ही लोकसभा चुनाव होने हैं। वहीं किसानों का धरना प्रदर्शन केन्द्र सरकार के लिए सिरदर्द बना हुआ है। अभी तक केंद्र सरकार और किसानों के बीच चार दौर की बातचीत बेनतीजा रही है। सरकार ने अब किसानों को पांचवें दौर की बातचीत की पेशकश की है। हालांकि किसान संगठनों ने इस प्रस्ताव पर सहमति नहीं जताई है। अभी तक दिल्ली तक मार्च स्थगित करने को लेकर किसानों की तरफ से कोई बयान सामने नहीं आया है। खास बात यह है कि 22 फरवरी से किसान आंदोलन तेजी से बढ़ सकता है।
असल में देश का सबसे बड़ा किसान संगठन, संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) गुरुवार को पंजाब में अपनी महत्वपूर्ण बैठक करेगा। इस बैठक में एसकेएम से जुड़े करीब 100 संगठन हिस्सा लेंगे। किसानों के दिल्ली मार्च को लेकर इस बैठक में बड़ा ऐलान संभव है. सूत्र बताते हैं कि केंद्र सरकार बहुत जल्द बैकफुट पर आ सकती है। लोकसभा चुनाव से पहले न्यूनतम बदलाव के साथ किसानों की मांगों को स्वीकार किए जाने की संभावना है।
असल में कहा जा रहा है कि फसल विविधीकरण, पराली के मुद्दे और एफआईआर दर्ज होने पर सरकार इन मांगों पर सकारात्मक रुख अपना सकती है। केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने बुधवार को कहा कि सरकार किसानों के साथ फिर से चर्चा करने के लिए तैयार है। इस मामले में शांति बनाए रखना जरूरी है। इससे पहले किसानों और केंद्र सरकार के बीच चार दौर की बातचीत हो चुकी है। पांचवें दौर की बैठक में न्यूनतम समर्थन मूल्य, , फसल विविधीकरण, पराली और एफआईआर दर्ज करने का विषय चर्चा के लिए तैयार है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक शंभू बॉर्डर पर किसानों को इकट्ठा करने में पंजाब सरकार की भूमिका को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय गंभीर है। इस संबंध में पंजाब सरकार से पत्राचार किया गया है। हालांकि, पंजाब सरकार ने इन आरोपों से इनकार किया है कि शंभू बॉर्डर पर किसानों को इकट्ठा करने में सरकार शामिल थी। गृह मंत्रालय के सख्त रवैये के बाद पटियाला प्रशासन ने पंजाब सरकार की ओर से किसान संगठनों को बातचीत के लिए बुलाया है। इस वार्ता में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए आवश्यक उपायों पर चर्चा होने की संभावना है।
किसान संघ की तीन की बैठक शुक्रवार से
भारतीय किसान संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की तीन दिवसीय बैठक राजस्थान के किशनगढ़ में 23, 24 और 25 फरवरी को हो रही है । संघ के महामंत्री मोहिनी मोहन मिश्रा ने बताया कि किशनगढ़ में हो रही बैठक में अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सभी पदाधिकारियों, देश के सभी प्रांतों और राज्यों के कार्यकर्ताओं, संभाग, प्रांत और क्षेत्र के संगठन मंत्रियों के साथ भाग लेंगे। तीन दिवसीय अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में देशभर के किसान प्रतिनिधि अलग-अलग सत्रों में कृषि क्षेत्र और किसानों की समस्याओं पर चर्चा करेंगे।
किसानों ने कहा कि सरकार की तरफ से मिला है निमंत्रण
इस बैठक में किसान आंदोलन पर भी चर्चा होगी। दूसरी ओर, शंभू बॉर्डर पर भारतीय किसान यूनियन क्रांतिकारी संगठन के अध्यक्ष सुरजीत सिंह फूल ने कहा, ‘सरकार की ओर से निमंत्रण आया है. हालांकि, किसान जानते हैं कि सरकार गंभीर नहीं है। क्या सरकार केवल समय बर्बाद करने के लिए बातचीत करना चाहती है? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को खुद बयान जारी करना चाहिए कि सरकार सभी फसलों पर एमएसपी कानून बनाने और किसानों की अन्य मांगों को मानने के लिए तैयार है।
उग्र हो सकते हैं किसान-रिपोर्ट
केंद्र सरकार के सूत्रों का कहना है कि जल्द ही किसानों से सार्थक बातचीत होगी। इसमें किसानों की ज्यादातर मांगें मानी जा सकती हैं। हालांकि, उनमें बहुत छोटे बदलाव होने की संभावना है। किसानों के दिल्ली मार्च को लेकर केंद्र सरकार को जो इनपुट मिल रहे हैं, वे बेहद चौंकाने वाले हैं। अगर दिल्ली तक मार्च जारी रहा तो, जान-माल का बड़ा नुकसान होने की आशंका है। किसानों के पास पुलिस का सामना करने के लिए पर्याप्त संसाधन हैं। दूसरा, इस मार्च का सबसे ज्यादा असर दिल्ली पर देखने को मिल रहा है। स्कूलों की परीक्षाएं शुरू हो रही हैं। पुलिस ने दिल्ली के अधिकांश सीमाओं की किलेबंदी कर दी है। इसके अलावा अब दूसरे राज्यों के किसान संगठन भी शंभू बॉर्डर पहुंच सकते हैं।
किसान अपनी मांगों पर अड़े
इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है कि अगर आंदोलन जारी रहा तो किसान रेल पटरियों को अवरुद्ध कर सकते हैं। अगर एसकेएम किसान आंदोलन में शामिल होने की घोषणा करता है तो स्थिति और बिगड़ सकती है। इसे देखते हुए प्रधानमंत्री या केंद्रीय गृह मंत्री किसानों के पक्ष में घोषणा कर सकते हैं।