भारत में सरकारी चीनी मिलों का प्रतिनिधत्व करने वाली उद्योग संस्था (NFCSF ) ने भारत सरकार से चीनी की एमएसपी को 35% बढ़ाकर 42 रूपए प्रति किलोग्राम करने का आग्रह किया है।
दरअसल, एमएसपी का कॉन्सेप्ट साल 2018 में शुरू हुआ था और फरवरी 2019 में इसे अंतिम बार संशोधित कर 31 रूपए प्रति किलोग्राम कर दिया गया था। हालांकि अब चीनी की कीमतें एमएसपी से अधिक हैं। महाराष्ट्र में चीनी की एक्स मिल कीमतें 36 रूपए प्रति किलोग्राम है। जबकी खुदरा कीमतें 42–44 रूपए प्रति किलोग्राम के दायरे में हैं।
क्या कहता है एसोसिएशन:
NFCF ने अपनें प्रेस विज्ञप्ति में कहा “हमने केंद्र सरकार से चीनी के एमएसपी को कम से कम 42 रूपए प्रति किलोग्राम बढ़ाने का आग्रह किया है। NFCF का कहना है की गन्ने की एमआरपी हर साल बढ़ रहीं है। ”
NFCF के अध्यक्ष हर्षवर्धन पाटिल ने आज केंद्र सरकार से चीनी के एमएसपी को कम से कम 42 रूपए प्रति किलोग्राम बढ़ाने का आग्रह किया।
केंद्र सरकार को सौंपा प्रस्ताव:
NFCF ने इस मामले में केंद्र सरकार को अपना प्रस्ताव पहले ही सौंप दिया है। । इसके लिए चीनी उद्योग के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करने के लिएं NFCSF , यूनियन और फूड कोरप्रेशन के डायरेक्टर और NDC के डायरेक्टर्स के बीच एक बैठक पुणे में की गई।
क्या कहते हैं NFCF के अध्यक्ष:
NFCF के अध्यक्ष हर्षवर्धन ने कहा कि,”NFCF और इस्मा संयुक्त रूप से भारत के संगठनों से एकत्रित तथ्यात्मक जानकारी के आधार पर चीनी के उत्पादन लागत की गिनती की हैं। और तीन जून को केंद्र सरकार के संबंधित विभागों को इसे भेजा है। ”
पाटिल ने उम्मीद जताते हुए कहा हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्रीय मंत्रिमंडल अपने पहले सौ दिनों में इस मसले पर अच्छा निर्णय लेगा। उन्होंने कुछ सफल कदमों पर भी चर्चा की, जैसे कि 24 अप्रैल को चीनी की मिलों को इथेनॉल बनाने के लिए 7 लाख टन बी-हैवी शीरा का इस्तेमाल करने की अनुमति दी गई और आने वाले पेराई सत्र के लिए गन्ना की मशीनों की आपूर्ति के लिए एनसीडीसी के साथ मिलकर काम किया गया। यह मशीनें सहकारी कारखानों को उनकी जरूरत के अनुसार उपलब्ध कराए जाएंगी।
पाटिल ने कहा कि जीएसटी लागू होने से पहले,चीनी की बिक्री पर कुछ कर लगता था जो शुगर डेवलपमेंट फंड (SDF) के लिए इस्तेमाल किया जाता था। इस SDF से मिलों को पूंजीगत व्यय और गन्ना उत्पादन के लिए ऋण मिलते थे। लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद SDF योजना बंद हो गई। फिर भी, कई मिलों पर 1,352 करोड़ रुपये का कर्ज बाकी था। पाटिल ने बताया कि हमने पिछले महीने केंद्र सरकार से संपर्क किया है और 650 करोड़ रुपये का ब्याज और पैनल ब्याज माफ कर दिया है। अब बाकी रकम का पुनर्गठन किया जाएगा जिससे 27 से अधिक चीनी मिलों को लाभ मिलेगा।