महंगी दालों से निजात पाने के लिए उड़द और अरहर का आयात करेगी सरकार, आम लोगों को मिलेगी राहत

घरेलू बाजार में तुअर और उड़द दाल की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार जनवरी और फरवरी में म्यांमार से तुअर और उड़द दाल का आयात करेगी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सरकार फरवरी में म्यांमार से 4,00,000 टन तुअर दाल और 10 लाख टन उड़द दाल का आयात करेगी। बड़ी मात्रा में आयात से घरेलू बाजार में दालों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित होगी। इससे दालों की कीमतों को बढ़ने से रोका जा सकेगा। दरअसल पिछले साल 29 सितंबर, 2022 तक देश में 46.1 लाख हेक्टेयर में दलहन की बुवाई की गई थी, जबकि 29 सितंबर, 2023 तक देश में केवल 43.9 लाख हेक्टेयर में दलहन की बुवाई हुई थी।

भारत सरकार ने दालों के आयात की घोषणा ऐसे समय में की है जब देश में दालों की बुआई अभी जारी है। इससे संकेत मिलता है कि इस साल दालों का रकबा घट सकता है। दलहन का रकबा कम होने से पिछले साल की तुलना में इस साल दालों का उत्पादन भी कम रहने की आशंका है। इस साल जनवरी में सरकार ने तुअर और उड़द की स्टॉक सीमा तय की थी ताकि जमाखोरी रोकी जा सके और उपभोक्ताओं को सस्ती दाल उपलब्ध कराई जा सके। यह स्टॉक लिमिट 30 अक्टूबर तक थी लेकिन बाद में सरकार ने इसे बढ़ाकर 31 दिसंबर कर दिया।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार उड़द का अखिल भारतीय खुदरा मूल्य मंगलवार को 11,198.09 रुपये प्रति क्विंटल दर्ज किया गया, जो एक साल पहले की समान अवधि में, 9,627.48 रुपये प्रति क्विंटल था। अरहर, चना और मूंग के दाम बढ़ने से अक्टूबर में दालों की खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 18.79 प्रतिशत पर पहुंच गई।अरहर के दाम में 40 फीसदी, चने के दाम में 11 फीसदी और मूंग के दाम में 12 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

म्यांमार ने आयात शुल्क को कर दिया था समाप्त

तुअर की महंगाई दर सितंबर में सबसे ज्यादा 37.3 फीसदी बढ़ी। सरकार द्वारा मार्च में अफ्रीका और म्यांमार से आयात शुल्क समाप्त कर दालों के आयात को बढ़ावा देने की कोशिश के बाद यह वृद्धि हुई है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस साल देश में दालों का रकबा भी घटा है। पिछले साल 29 सितंबर, 2022 तक देश में 46.1 लाख हेक्टेयर में दलहन की बुवाई हुई थी, जबकि 29 सितंबर, 2023 तक देश में केवल 43.9 लाख हेक्टेयर में दलहन की बुआई हुई है। खरीफ फसल वर्ष 2023-24 के लिए कृषि मंत्रालय के पहले अग्रिम अनुमान के अनुसार तुअर का उत्पादन 34.2 लाख टन रहने का अनुमान है, जो पिछले साल के उत्पादन के बराबर है। उड़द की बुआई का रकबा इस साल 30.7 लाख हेक्टेयर रहने का अनुमान है, जो पिछले साल 31 लाख हेक्टेयर था।

हर साल 45 लाख टन अरहर दाल की जरूरत

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक भारत को हर साल 45 लाख टन अरहर दाल की जरूरत होती है, क्योंकि देश के तमाम हिस्सों में तुअर दाल प्रमुखता से खाई जाती है। जानकारों का मानना है कि नवंबर में तुअर की कीमत 40 फीसदी ज्यादा रहेगी, जिससे दालों की महंगाई और बढ़ेगी। खुदरा बास्केट में अरहर का भारांक 0.8 प्रतिशत है।

थोक बाजार में तुअर दाल की कीमत 87 से 90 रुपये प्रति किलो है। जानकारों का कहना है कि आयात के बाद इस बात की संभावना है कि दालों के दाम में अचानक कोई बढ़ोतरी नहीं होगी। तुअर की पहली खेप जनवरी में म्यांमार से आएगी। बैंक ऑफ बड़ौदा की 2023-24 की खरीफ फसल अनुमान रिपोर्ट, के मुताबिक उड़द दाल का उत्पादन घटकर 15 से 16 लाख टन रह सकता है, पिछले साल उड़द का घरेलू उत्पादन 17.7 लाख टन था।

 

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