कृषि विपणन बोर्ड की पुरानी संपत्तियों को बेचेगी हरियाणा सरकार, जानिए कितना राजस्व जुटाएगी खट्टर सरकार

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हरियाणा सरकार ने हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड (एचएसएमसीआरबी) की पुरानी या अप्रयुक्त संपत्तियों को बेचने का फैसला किया है। दावा किया गया है कि इस कदम से जहां एक ओर बोर्ड की आय बढ़ेगी, वहीं दूसरी ओर प्राप्त राजस्व से परिचालन बाजारों के बुनियादी ढांचे को और मजबूती मिलेगी। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने मंगलवार को चंडीगढ़ में एक बैठक के दौरान यह फैसला लिया। उन्होंने कहा कि अनुपयोगी और खाली भूखंडों की नीलामी की जाएगी। बैठक में कृषि मंत्री जेपी दलाल भी मौजूद थे।

बैठक में बताया गया कि बोर्ड के पास 35 स्थानों पर अनुपयोगी भूखंड या संपत्तियां हैं। इनमें पुराने कार्यालय भवन और स्टाफ क्वार्टर शामिल हैं, जिनकी अब नीलामी की जाएगी। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि कई शहरों में मंडियां अब शहरों से बाहर शिफ्ट हो गई हैं। इस कारण बोर्ड की पुरानी और ऐसी अन्य संपत्तियों का पोर्टल बनाकर उनकी जानकारी अपलोड की जाए। इसके बाद इनकी नीलामी की जाएगी। इससे इन संपत्तियों का उचित उपयोग सुनिश्चित होगा और बोर्ड को अतिरिक्त आय भी प्राप्त होगी।

बोर्ड कितना पैसा जुटाएगा

मुख्यमंत्री ने कहा कि इन संपत्तियों की नीलामी के लिए आरक्षित मूल्य उचित रखा जाए ताकि अधिक से अधिक लोग नीलामी में भाग ले सकें। इस प्रक्रिया के माध्यम से अगले 6 महीनों में लगभग 550 करोड़ रुपये का राजस्व उत्पन्न करने का लक्ष्य रखा गया है। बैठक में बताया गया कि बोर्ड के पास कुल 37,364 भूखंड हैं, जिनमें से 23,206 भूखंडों की नीलामी या आवंटन किया जा चुका है, 14,158 भूखंड खाली पड़े हैं। जिनके बोर्ड ने आगामी 6 माह के लिए नीलामी का रोडमैप तैयार किया है।

कहां बेचा जाएगा प्लॉट

सोनीपत, कनीना, अंबाला कैंट, रेवाड़ी (बिठवाना और बावल), असंध, होडल, टोहाना, राजौंद, उचाना, बेरी, सेब मंडी पिंजौर, खेड़ी चोपता, खांडा खेड़ी, छिछड़ाना और निजामपुर की नई सब्जी मंडियों और अनाज मंडियों में छत्तर, अरनौली, भागल, बाबा लाडला,, मुरथल, झांसा, थोल, प्लाटों की नीलामी की जाएगी। जिससे करीब 150 करोड़ रुपये का राजस्व आने की उम्मीद है। इसके अलावा 50 करोड़ रुपये बाजार समितियों की अप्रयुक्त संपत्तियों की बिक्री से आएंगे। विभिन्न स्थानों पर पेट्रोल पंप स्थलों की बिक्री से लगभग 30 करोड़ रुपये और मंडियों में शेष भूखंडों की बिक्री से लगभग 300 करोड़ रुपये का राजस्व उत्पन्न करने की योजना है।

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