कपास और धान उगाने वाले किसानों के लिए एक अच्छी खबर है। खेती के लिए नयी नयी तकनीकों का इस्तेमाल हो रहा है वहा अब ड्रोन बनाने वाली कंपनी भारतरोहण ने प्रोफ़ेसर जयशंकर तेलंगाना स्टेट एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के एग्री इनोवेशन AGHUB के साथ समझौता किया है। जिसमें भारतरोहण हाई स्पेक्ट्रल इमेजिंग टेक्नॉलोजी के इनोवेशन से किसानों को फायदा पहुचाएंगी।
एग्रीटेक कंपनी भारतरोहण ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल प्रिसिजन फार्मिंग में करती है। साथ ही ये अपने ड्रोन में हाई स्पेक्ट्रल इमेजिंग टेकनॉलोजी का भी इस्तेमाल करते है। अब इस तकनीक के इनोवेशन और इसे खेती में इस्तेमाल करने के लिए कंपनी AGHUB की साथ मिलकर काम करेगी।
क्या है ये हाई स्पेक्ट्रल टेक्नॉलोजी
एग्रीकल्चर ड्रोन बनाने वाली कंपनी भारतरोहण अपने ड्रोन में इस तकनीक का इस्तेमाल करती है। सरल भाषा में समझें तो ये एक ऐसी तकनीक है। जिसके काफी ऊंचाई से फसलों की फोटो या वीडियो ली जा सकती है। इसमें बेहद छोटे से छोटे पौधे ,पत्ते या फसल की एकदम साफ़ इमेज मिल जाती है। जिससे फसल में किसी रोग के आने से पहले ही उसके बारे में पता चल सकता है। इस तकनीक का इस्तेमाल फसलों की मॉनिटरिंग के लिए होता है। इस डील के बाद भारतरोहण ,प्रोफेसर जयशंकर तेलंगाना स्टेट एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के अग्रि इनोवेशन हब साथ मिलकर इस तकनीक पर काम करेंगे और आपसी सहयोग से फसलों के लिए एक स्पेक्ट्रल लाइब्रेरी भी बना रहे हैं जिससे फसलों में लगने वाले रतग और बिमारियों का पहले से ही पता चल सकेगा।
हाई स्पेक्ट्रल टेक्नोलॉजी से किसानों को मिलेगा फायदा
हाई स्पेक्ट्रल टेक्नॉलोजी का इस्तेमाल फ़िलहाल धान और कपास की फसल में किया जा रहा है। इस फसल से धान और कपास उगाने वाले किसानों को फायदा मिलेगा। धान की फसल में कई बार ब्रॉउन प्लांट हॉपर से नुकसान हो जाता है। ये कीट धान की पत्तियों को ख़राब कर देता है और इसके अटैक से फसलें बर्बाद हो जाती है। साथ ही कपास में भी गुलाबी सुंडी जिसे पिंक बॉलवॉर्म कहते है उसके अटैक से फसल बर्बाद हो जाती है। इसके आलावा भी कपास और धान में कई रोग लग जाते है जिससे 20 -30 फीसदी तक फसल बर्बाद हो जाती है।
भारतरोहण के फाउंडर अमनदीप पवार का खाना है कि कपास और धान में हाई स्पेक्ट्रल इमेजिंग टेक्नॉलोजी से फसल का अच्छी तरह और समय से अवलोकन किया जा सकता है। जिससे अच्छी फसल हो सकती है। साथ ही समय से रोग बचाव करने पर किसानों को पेस्ट कंट्रोल या कीटनाशक पर खर्च करने कि जरुरत नहीं, जिसकी वजह से किसानों का पैसा बचेगा और उपज में भी वृद्धि बढ़ेगी।