भारत में पिछ्ले काफी समय से खेती को भी आय के एक मज़बूत और फायदेमंद स्रोतों में से एक माना जाता है। भारत मे पहले जहां खेती पारंपरिक तरीके से की जाती थी, तो वही अब भारत के किसान आधुनिक तरीको को भी अपनाने से पीछे नहीं हटते।
किसान का फोकस अब फल सब्जियों के साथ -साथ उन फसलों पर भी है जिसकी मार्केट में अच्छी डिमांड है। इन फैसलों की खेती करने से किसान को अच्छा खासा मुनाफा होता है। इन्ही में से एक है काले धान की फसल।
काले धान की फसल को काला सोना भी कहा जाता है। आम चावल के मुकबले ये अधिक पौष्टिक और और मेडिसिनल गुणों से भरपूर होता है। काले धान के चावल को खाने की सलाह शुगर के मरीजों को डॉक्टर द्वारा दी जाती है। आम चावल की जगह इसमें ग्लैक्मिक इंडेक्स होता है जो इसे आम चावल के मुकाबले पौष्टिक बनाता है।
मार्केट में जहां आम चावल 30–35 रूपए किलो मे मिलता है तो वही काले चावल की कीमत 350–400 रूपए होती है।
काले धान की सबसे अच्छी बात ये है की आम धान की तरह इसे तैयार करने के लिएं अधिक पानी की ज़रूरत नही पड़ती। हालाकि, जहां बाकी धान तैयार होने में 80 से 100 दिन लेते हैं तो वही काले धान को तैयार होने में 115 से 130 दिनो का समय लगता है।
एक क्विंटल काले धान की कीमती बाजार में 70 से 80 हजार होती है, तो वही एकड़ में इसकी खेती करने पर 9 से 12 हज़ार तक का ही खर्च आता है।
बाकी धान की तरह ही काले धान की भी नर्सरी मई जून में लगायी जाती हैं। इसके बाद जुलाई और अगस्त के कहीं मे काले धान की रोपणी होती है, जिसके बाद करीब 4 महीने में फसल तैयार हो जाती है।