देश की बंजर भूमि में कैक्टस की उन्नत किस्मों की खेती से ग्रामीण क्षेत्रों में पशु चारा, प्राकृतिक चमड़ा, जैव ईंधन, जैविक उर्वरक और फलों से प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ावा मिल सकता है। इसके लिए बीएएफ डेवलपमेंट रिसर्च फाउंडेशन और फाइव एफ एग्रोइकोलॉजी एलएलपी नामक स्टार्टअप ने प्रायोगिक आधार पर देश का पहला पायलट प्रोजेक्ट स्थापित करने की पहल की है।
केंद्र सरकार इस प्रोजेक्ट को गति देने में मदद करेगी केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज मंत्री गिरिराज सिंह ने आश्वासन दिया कि इस तरह की परियोजना को दूसरे राज्यों में लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा
‘कैक्टस ग्रीन गोल्ड’ परियोजना शुभारंभ
बीएएफ संगठन और फाइव एफ एग्रोइकोलॉजी एलएलपी के सहयोग से महाराष्ट्र के उरुली कंचन में पायलट आधार पर एक ‘कैक्टस ग्रीन गोल्ड’ परियोजना स्थापित की गई है। इस परियोजना का उद्घाटन सोमवार केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज मंत्री गिरिराज सिंह ने ऑडियो-विज़ुअल मीडिया के माध्यम से किया। इस अवसर पर केंद्रीय ग्रामीण विकास विभाग के सचिव मनोज जोशी, राज्य भूमि एवं जल संरक्षण विभाग के सचिव सुनील चव्हाण, ‘बीएएफ’ के अध्यक्ष डाॅ. भरत काकड़े और फाइव एफ एग्रोइकोलॉजी के निदेशक रवि मदान और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
कम वर्षा वाले क्षेत्रों में छोटे किसानों को वित्तीय आय का सोर्स
प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी देते हुए डाॅ. भरत काकड़े ने कहा कि 2015 से संगठन ने कैक्टस की खेती का प्रयोग शुरू किया है, जो कम वर्षा वाले क्षेत्रों में छोटे किसानों को वित्तीय आय प्रदान करता है। संस्था के माध्यम से पांच राज्यों में लगभग 800 किसानों के खेतों में प्रयोगात्मक आधार पर कैक्टस की अधिक उपज देने वाली किस्मों को लगाया गया है।
महाराष्ट्र के उरली कंचन में पायलट प्रोजेक्ट
उरुली कंचन क्षेत्र में कैक्टस की लगभग 100 किस्में एकत्र की गई हैं, उनमें से कुछ को पशु आहार और प्रसंस्करण के संदर्भ में उपयोगी पाया गया है। इन किस्मों की नर्सरी तैयार कर ली गई है। ट्रांसजेनिक तकनीकों से पौधों के उत्पादन को भी बढ़ावा मिला है।
अधिक उपज देने वाली किस्मों की नर्सरी बनाई जानी चाहिए
केंद्रीय ग्रामीण विकास विभाग के सचिव मनोज जोशी ने कहा कि पायलट प्रोजेक्ट के माध्यम से ‘बीएएफ’ संगठन के दायरे में एक क्लस्टर में कैक्टस की खेती, प्रसंस्करण उद्योग से लेकर उत्पाद बिक्री तक एक मूल्य श्रृंखला बनाई जानी चाहिए। कैक्टस की खेती आय का अच्छा सोर्स बन सकती है। किसानों को इसका अर्थकारण समझाना जरुरी है ताकि वे भी इस खेती से जुडी सभी जानकारी ले सके। अधिक उपज देने वाली किस्मों की नर्सरी बनाई जानी चाहिए।
पायलट प्रोजेक्ट के उद्घाटन के अवसर पर बीएएफ संस्था के सलाहकार डाॅ. अशोक पांडे, उपाध्यक्ष जयंत खडसे, कार्यक्रम निदेशक प्रमोद ताकवाले, कैक्टस प्रोजेक्ट के प्रमुख शोधकर्ता डाॅ. विट्ठल कौथले, आत्मा के निदेशक दशरथ तांभले, भूमि एवं जल संरक्षण विभाग के निदेशक रवींद्र भोसले और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
राज्य सरकार एवं ‘बीएएफ’ की अध्ययन समिति
मृदा एवं जल संरक्षण विभाग के सचिव सुनील चव्हाण ने कहा कि कैक्टस की खेती, विभिन्न उत्पादों के उत्पादन और बिक्री प्रबंधन के लिए पायलट प्रोजेक्ट की वित्तीय व्यवहार्यता की जांच के लिए राज्य सरकार और ‘बीएएफ’ के विशेषज्ञों की एक संयुक्त समिति का गठन किया जा रहा है। इस समिति की रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजी जाएगी और अगली मार्गदर्शक नीति तय की जाएगी।