भारत और बांग्लादेश ने 12 दिसंबर, 1996 को एक महत्वपूर्ण समझौता पर हस्ताक्षर किया था, जिसे गंगा जल संधि कहते हैं। इस समझौते को 2026 में नवीकृत किया जाना है। अब जैसे-जैसे यह तारीख निकट हो रही है, इसके नवीकरण की तैयारियां शुरू हो गई हैं। इसमें महत्वपूर्ण आंतरिक समीक्षा और हितधारकों से परामर्श शामिल है।
इस समझौते का लक्ष्य है कि वर्षा के मौसम में फरक्का बैराज पर गंगा जल को सुव्यवस्थित तरीके से बांटा जाए। यह समझौता आने वाले तीस साल तक चलेगा।
जल शक्ति मंत्रालय ऐक्शन मोड में:
जल शक्ति मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल सरकार और हितधारकों के साथ संधि को नवीकरण करने के लिए प्रारंभिक काम कर दिए हैं। एक इंटरिम समिति ने 14 जून, 2024 को अपनी अंतिम रिपोर्ट दी है, जो अभी मंत्रालय द्वारा जांच के अधीन है। इस व्यापक समीक्षा का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि नए समझौते में हितधारकों की सभी चिंताएं और जरूरतें ध्यान में रखी जाएं।
इसके बाद, जल शक्ति मंत्रालय ने भारत और बांग्लादेश के बीच चर्चा शुरू करने के लिए एक संयुक्त तकनीकी समिति बनाई है। यह समिति नई गंगा जल संधि की शर्तों पर बातचीत करेगी, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि यह संधि दोनों देशों और भारत के संबंधित राज्यों की जरूरतों को संतुष्ट करती रहे।
कैसे हुई शुरूआत?
दरअसल,24 जुलाई, 2023 को जल शक्ति मंत्रालय ने गंगा जल संधि की समीक्षा के लिए एक इंटरीम समिति का गठन किया। इस समिति में बिहार और पश्चिम बंगाल की सरकारों जैसे प्रमुख हितधारकों के रिप्रेजेंटेटिव शामिल हैं। इसमें पश्चिम बंगाल की भागीदारी ऑफिशियल हो गई जब उसने 25 अगस्त, 2023 को समिति में अपना प्रतिनिधि नामित किया।
अपने गठन के बाद से इस इंटरिम समिति ने चार बैठकें की हैं: 22 अगस्त, 2023, 30 अक्टूबर, 2023, 15 मार्च, 2024 और 31 मई, 2024 को। पश्चिम बंगाल ने इन चर्चाओं में सक्रिय रूप से भाग लिया है, जिसमें सिंचाई और जलमार्ग विभाग के अधिकारियों ने रिप्रेजेंट किया है, जिसमें संयुक्त सचिव या मुख्य अभियंता (डिजाइन और अनुसंधान) शामिल हैं। उनकी भागीदारी निरंतर रही है, उनके नामांकन के बाद आयोजित सभी बैठकों में वे शामिल हुए।
पश्चिम बंगाल ने ज़ाहिर की अपनी चिंताएं:
इन बैठकों में हिस्सा लेने के अलावा, पश्चिम बंगाल सरकार ने संधि के बारे में विशेष चिंताएँ और जरूbanglरतें भी बताई हैं। 2024 के 5 अप्रैल को, पश्चिम बंगाल ने पीने के पानी और औद्योगिक पानी की अपनी जरूरतों के बारे में बताया, जहाँ इन संसाधनों के महत्व को राज्य के लिए उजागर किया गया था। 2024 के 31 मई को समिति की अंतिम बैठक में पश्चिम बंगाल के प्रतिनिधि ने इस आवश्यकता को फिर से उठाया।
क्या है नवीकरण का महत्व?
जल संसाधनों की बढ़ती मांग और पर्यावरण के परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए, 2026 के बाद गंगा जल संधि को नवीकरण करना एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। अन्य हितधारकों के साथ पश्चिम बंगाल की सक्रिय सहयोग और योगदान एक ऐसे समझौते को बनाने में महत्वपूर्ण है जो क्षेत्रीय स्थिरता और विकास का समर्थन करता रहेगा।
ज़मीनी स्तर पर क्या है कहानी?
जल शक्ति मंत्रालय द्वारा लिए गए कदम और पश्चिम बंगाल के लोगों की मदद से गंगा जल संधि का महत्व बढ़ता है। यह न केवल जल सुरक्षा के लिए जरूरी है बल्कि भारत और बांग्लादेश के बीच मित्रता बढ़ाने के लिए भी महत्वपूर्ण है। इस चर्चा का लक्ष्य एक अच्छा समझौता बनाना है जो जल बंटवारे की अच्छी प्रथा सुनिश्चित करता है और गंगा के पानी पर निर्भर क्षेत्रों की बढ़ती जरूरतों को पूरा करता है।