भारत सरकार गेहूं के घटते भंडार को फिर से भरने के लिए गेहूं का आयात करने की तैयारी सरसों की बुआई पहली बार 100 लाख हेक्टेयर पार, सरकार पर आयात होगा बोझ कमकर रही है। उम्मीद से कम उत्पादन और बढ़ी हुई खपत के साथ-साथ सरकारी खरीद में देरी के कारण 6 साल बाद गेहूं आयात की स्थिति फिर से दोहराई जा सकती है । सरकार गेहूं आयात पर 40 फीसदी आयात शुल्क भी हटा सकती है। पिछले महीने से, आटा मिलें भी बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने और गेहूं की मांग को पूरा करने के लिए आयात की मांग कर रहे है ।
भारत छह साल के अंतराल के बाद गेहूं का आयात शुरू करने के लिए तैयार है, ताकि घटते भंडार को फिर से भरा जा सके और 3 साल की निराशाजनक फसल उत्पादन के चलते कीमतों में आ रहे उछाल को रोका जा सके. अधिकारियों और अन्य सूत्रों ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि नई दिल्ली इस साल गेहूं के आयात पर 40 फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी को समाप्त कर सकती है, जिससे निजी व्यापारियों और आटा मिलों के लिए शीर्ष निर्यातक रूस जैसे उत्पादकों से गेहूं खरीद करने का रास्ता साफ हो जाएगा।
रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के अनुसार, गेहूं पर आयात शुल्क हटाने से आयात में वृद्धि होगी, जिससे खुले बाजार में प्रचुर आपूर्ति सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी। उम्मीद है कि सरकार आटा मिलों की आयात मांग को पूरा कर सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत सरकार जून के बाद निजी व्यापारियों के लिए गेहूं पर आयात शुल्क खत्म करने का फैसला कर सकती है. लोकसभा चुनाव के नतीजे 4 जून को घोषित किए जाएंगे और अगले कुछ दिनों में सरकार का गठन भी हो जाएगा|
50 लाख टन इंपोर्ट की तैयारी:
व्यापारियों ने कहा कि अगर भारत सरकार 40% आयात शुल्क हटा दे तो वे तुरंत गेहूं का आयात शुरू कर देंगे। कहा जा रहा है कि 3 से 5 मिलियन टन का आयात काफी है. इतनी मात्रा में गेहूँ बेचने के लिए रूस सबसे उचित स्थान प्रतीत होता है। गेहूं के आयात की शीघ्र शुरुआत से आगामी ओकट्रैफेस्ट सीज़न के दौरान उच्च मांग को पूरा करने और कीमतों को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।
लगातार घाट रहा उत्पादन:
लगातार पांच साल से कटाई के बाद तापमान में तेज वृद्धि ने 2022 और 2023 में भारत की गेहूं की फसल उत्पादन को घटा दिया है। इसके चलते भारत को गेहूं निर्यात पर रोक तक लगानी पड़ी है। इस साल की फसल भी 11.2 करोड़ टन के सरकारी अनुमान से 6 फीसदी कम उत्पादन होने की आशंका जताई है। गेहूं की घरेलू कीमतें सरकार की ओर से तय न्यूनतम खरीद मूल्य यानी एमएसपी 2,275 रुपये प्रति क्विंटल से ऊपर रही हैं और बीते कुछ सप्ताह में तेजी से बढ़ना भी शुरू हो गई हैं।