केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को किसानों से सीधे अरहर दाल की खरीद के लिए एक ई-पोर्टल लॉन्च किया। इस पोर्टल के माध्यम से किसानों से बाजार दर से अधिक मूल्य पर अरहर दाल खरीदी जाएगी। इस पोर्टल के माध्यम से, नेफेड और एनसीसीएफ जैसी सरकारी एजेंसियां किसानों से अरहर खरीदेंगी। यह कार्य पूरी तरह से सहकारी स्तर पर होगा। इससे बाजार में तुअर की कीमतों को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।
नेफेड और एनसीसीएफ, सहकारिता मंत्रालय के तहत काम करने वाली एजेंसियां, गतिशील मूल्य निर्धारण फार्मूले के तहत किसानों से अरहर दाल खरीदेंगी। गतिशील फार्मूले का मतलब है कि जब बाजार में तुअर की कीमत बढ़ेगी तो किसानों से ऊंची कीमत पर दाल खरीदी जाएगी। इससे किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी। ई-पोर्टल के शुभारंभ के अवसर पर अमित शाह ने कहा कि नेफेड (भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ) और एनसीसीएफ (भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ) द्वारा विकसित वेब पोर्टल लॉन्च किया जा रहा है, जिसके माध्यम से तुअर (अरहर) दाल की खेती करने वाले किसान अपनी दालों को ऑनलाइन बेच सकेंगे और भुगतान सीधे उनके खाते में प्राप्त कर सकेंगे।
पोर्टल से क्या होगा फायदा
सरकार का कहना है कि पोर्टल की मदद से किसान सीधे सरकारी एजेंसियों को अरहर दाल बेच सकेंगे। उन्हें अपनी उपज बेचने के लिए बिचौलियों या व्यापारियों का सहारा नहीं लेना पड़ेगा। एक अच्छी बात यह है कि दालों की खरीद होते ही नेफेड और एनसीसीएफ किसानों के खाते में ऑनलाइन पैसा जमा कर सकेंगे। इससे पूरी खरीद प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी।
किसानों की बढ़ेगी आय
इस कदम के जरिए सरकार किसानों की आय बढ़ाने की कोशिश कर रही है, साथ ही सरकारी खरीद से अरहर दाल का बफर स्टॉक भी बढ़ेगा और इससे महंगाई को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। सरकार का मानना है कि किसानों से दालों की सीधी खरीद से बफर स्टॉक बढ़ेगा और आयात पर निर्भरता कम होगी। दालों के आयात के कारण महंगाई बढ़ती है और इससे देश के किसानों को नुकसान भी होता है। रिपोर्ट के अनुसार, सरकार को चालू वित्त वर्ष में अधिक दालों का आयात करना होगा क्योंकि देश में पर्याप्त स्टॉक नहीं है।
जानिए क्या बोले सहकारिता मंत्री अमित शाह?
ई-पोर्टल लांच के कार्यक्रम में अरहर दाल के किसान, पैक्स के अध्यक्ष और देशभर से आए एफपीओ पदाधिकारी मौजूद थे। इस कार्यक्रम में अमित ने कहा, पोर्टल के माध्यम से एमएसपी से ऊपर बाजार मूल्य के औसत के आधार पर किसानों का अग्रिम पंजीकरण किया जाएगा और अरहर दाल खरीदी जाएगी। यह पैसा डीबीटी के माध्यम से किसानों के खाते में जमा किया जाएगा। शाह ने कहा कि आज के इस कदम से दलहन के क्षेत्र में देश की आत्मनिर्भरता बढ़ेगी, फसलों के पैटर्न में बदलाव आएगा, भूजल स्तर के संरक्षण में मदद मिलेगी। किसानों की समृद्धि बढ़ेगी। पोषण अभियान से देश में मजबूती मिलेगी और भूमि सुधार में भी मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा, ‘दालों का अधिक आयात करना पड़ता है। मूंग और चने के मामले में देश आत्मनिर्भर है, लेकिन बाकी दालों का आयात करना पड़ता है। लेकिन देश में जिस तरह की कृषि सुविधाएं उपलब्ध हैं, उसे देखते हुए दालों का आयात सम्मान की बात नहीं है। इसे देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दलहन किसानों पर जिम्मेदारी डाल दी है कि 2027 तक भारत दलहन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो जाए। सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा, “हम मंत्रालय की ओर से आश्वस्त करना चाहते हैं कि दिसंबर 2023 तक देश दलहन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो जाएगा। यहां तक कि एक किलोग्राम दाल भी बाहर से आयात करने की आवश्यकता नहीं होगी।