मार्च तक बनी रह सकती है मसालों में महंगाई, नई फसल के बाद कीमतों में कमी की उम्मीद नहीं

spices

खराब मौसम के कारण दिसंबर से मार्च 2024 के दौरान मसालों की वजह से आपकी थाली महंगी हो सकती है। दरअसल बुआई में कमी और कीड़ों के प्रकोप के कारण मसालों का उत्पादन प्रभावित हुआ है, जिससे जीरा, हल्दी, लाल मिर्च, काली मिर्च और अन्य मसालों के दाम बढ़ रहे हैं। आंकड़ों के अनुसार मसालों की महंगाई दर जुलाई से 22 फीसदी से ऊपर बनी हुई है। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि दिसंबर से मार्च के बीच मसालों की खुदरा महंगाई दर 0.6 फीसदी बढ़ सकती है। उनका मानना है कि आगामी फसल आने तक कीमतों में कमी आने की उम्मीद नहीं है।

खुदरा मुद्रास्फीति के बास्केट में मसालों की श्रेणी का भारांश केवल 2.5 प्रतिशत है, लेकिन यह अभी भी कई खाद्य उत्पादों की कीमतों को प्रभावित करता है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बैंक ऑफ बड़ौदा के चीफ इकनॉमिस्ट मदन सबनवीस के मुताबिक, मसालों का वजन कम होता है, लेकिन कीमतें ज्यादा होने की वजह से दूसरे फूड प्रॉडक्ट्स जैसे सॉस, पैकेज्ड फूड्स, जैम, , कन्फेक्शनरी आदि की लागत पर असर पड़ता है। उनका कहना है कि जीरा, काली मिर्च और मिर्च का उत्पादन कम हुआ है और उत्पादन कम होने से आपूर्ति प्रभावित हुई है। हमें अगली फसल की कीमतों में कमी आने का इंतजार करना होगा।

काली मिर्च और धनिये के उत्पादन में आ सकती है गिरावट

काली मिर्च और धनिया जैसे कुछ मसालों के रकबे में काफी गिरावट देखी गई है। खरीफ सीजन के दौरान मसालों के कम उत्पादन ने भी कीमतों को प्रभावित किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि मार्च 2024 तक नई रबी फसल का ज्यादा असर पड़ने की संभावना नहीं है क्योंकि उच्च घरेलू और निर्यात मांग मुद्रास्फीति को प्रभावित करेगीजो मार्च 2024 के बाद भी बढ़ सकती है। खरीफ सीजन के दौरान हल्दी की बुआई में 15-18 फीसदी की गिरावट आई है।

हल्दी की कीमतों में हुई बढ़ोत्तरी

बुआई घटने और मांग बढ़ने से हल्दी का भाव पिछले साल के मुकाबले इस साल बढ़कर 12,600 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है, जबकि हल्दी का भाव पिछले साल 7,000 रुपये प्रति क्विंटल था । नवंबर में हल्दी और सूखी मिर्च दोनों की महंगाई दर 10.6 फीसदी दर्ज की गई थी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *