नई दिल्ली: सरकार ने सोमवार को 30 जून 2024 तक सीमा से सटे भूटान से बिना लाइसेंस के आलू के आयात की अनुमति दे दी है। इससे पहले यह अनुमति 30 जून 2023 तक थी।
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने एक अधिसूचना जारी करते हुए कहा कि 30 जून 2024 तक बिना किसी आयात लाइसेंस के भूटान से आलू के आयात की अनुमति है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में दोनों देशों के बीच ताजा या ठंडे आलू का आयात लगभग10.2 लाख डॉलर का हुआ था।
देश में कई राज्यों के किसान बड़े पैमाने पर आलू की खेती करते हैं। उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, पंजाब और गुजरात में आलू की पैदावार अधिक होती है। उत्तर में सबसे अधिक आलू का उत्पादन होता है। भारत चीन के बाद विश्व का सबसे बड़ा उत्पादक है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों की माने तो देश में प्रति वर्ष लगभग 5 करोड़ टन आलू की पैदावार होती है। और हर साल देश में 3.5 करोड़ टन आलू की खपत होती है। भारत ने वित्तीय वर्ष 2022-23 में $1.02 मिलियन की कीमत में ताजा या ठंडे आलू आयात किया।
अधिक स्वादिष्ट होता है भूटानी आलू
भूटानी आलू का स्वाद काफी बेहतर है। वहीं अन्य आलू की किस्मों के मूल्यों की अपेक्षा भूटानी आलू की बिक्री ऊंची कीमतों में होती है। आलू की दूसरी किस्मों के मुकाबले यह आलू कम सड़ता है और इसमें अधिक मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं।
आखिर क्यों इस सीमा को बढ़ाया गया
सरकार के इस फैसले के बाद देश में आलू की आपूर्ति बढ़ेगी और इसकी कीमतों पर अंकुश लगेगा। भूटानी आलू के आयात के बाद आलू की कीमतों में स्थिरता बनी रहेगी व दूसरे सब्जियों के मुकाबले आलू के दामों में उछाल नहीं आएगा।
दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक होने के बाद भी क्यों होता है आलू आयात
बेमौसम बारिश के कारण इस बार आलू के उत्पादन में कमी आयी है जिसके चलते आलू का आयात किया जा रहा है। आयात से इसके बढ़ते दामों पर अंकुश लगेगा और आम आदमी की जेब पर भी महंगाई का कम प्रभाव पड़ेगा।