मुंबई : महाराष्ट्र में एक डिप्लोमा कोर्स को बंद करने के लिए काफी विवाद हुआ है। लोगों के प्रदर्शनों के बाद सरकार ने इस मुद्दे पर पुन: सोचने का फैसला किया और निर्णय को वापस लेना पड़ा। पशुपालन और डेयरी विकास मंत्रालय ने महाराष्ट्र पशुपालन और मत्स्य पालन विश्वविद्यालय में पढ़ाने वाले पशुधन प्रबंधन और डेयरी उत्पादन पाठ्यक्रम को बंद करने का निर्णय लिया था। हालांकि जब जनप्रतिनिधियों और पशु चिकित्सा व्यवसायी संघ ने इस निर्णय पर आपत्ति जताई तो सरकार को अपना निर्णय बदलना पड़ा।
राज्य के पशुपालन और डेयरी विकास मंत्री राधाकृष्ण विखे-पाटिल ने इस निर्णय को वापस लेने के साथ ही घोषणा की है कि डिप्लोमा पाठ्यक्रम को अगले दो वर्षों तक जारी रखा जाएगा। डेयरी के मामले में महाराष्ट्र अच्छी स्थिति में है और इसलिए लोगों ने डेयरी से जुड़े इस पाठ्यक्रम को बंद करने के खिलाफ विरोध किआ था।
महाराष्ट्र सरकार ने पशुपालन में एक तीन वर्षीय डिग्री पाठ्यक्रम की शुरुवात की है। इस कार्यक्रम की शुरुवात तत्कालीन पुणे जिला कलेक्टर कार्यालय में मंत्री राधाकृष्ण विखे-पाटिल द्वारा आयोजित बैठक में की गई थी। इस अवसर पर विधायक डाॅ. राहुल पाटिल, पशुपालन एवं डेयरी विभाग के प्रधान सचिव जगदीश गुप्ता, और राज्य पशुपालन आयुक्त डॉ. हेमंत वासेकर समेत अन्य कई लोग मौजूद थे।
बैठक में विभिन्न संगठनों के पदाधिकारियों ने पशुधन प्रबंधन और दुग्ध उत्पादन की डिग्री को जारी रखने के लिए समर्थन दिया है। राज्य मंत्री विखे-पाटिल ने इस कोर्स की शुरुवात करने पर सहमति व्यक्त की है। साथ ही पशुधन प्रबंधन और डेयरी उत्पादन डिप्लोमा पाठ्यक्रम अगले दो वर्षों तक निरंतर जारी रहेगा। विश्वविद्यालय के उपाध्यक्ष डॉ. शंकर गडाख ने बताया कि इस कोर्स का डिजाइन विश्वविद्यालय स्तर पर गठित समिति की सिफारिशों के आधार पर किया गया है जिससे छात्रों को गुणवत्तापूर्ण और प्रशिक्षित जनशक्ति मिलेगी। मंत्री विखे-पाटिल ने यह घोषणा की है कि महाराष्ट्र पशु एवं मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय के तहत जीव विज्ञान विषय में 12वीं कक्षा के बाद उत्तीर्ण होने वाले छात्रों के लिए पशुपालन में तीन वर्षीय पाठ्यक्रम को इस शैक्षणिक वर्ष से शुरू किया जाएगा।