महाराष्ट्र अप्रैल तक 95 लाख टन चीनी का उत्पादन होने की संभावना, बारिश ने बढ़ाई रिकवरी

Sugarcane Crushing

महाराष्ट्र में इस साल लंबे समय तक गन्ने की पेराई होगी। चीनी मिलें इसके लिए तैयारी कर रही हैं। कहा जा रहा है कि चीनी मिलों के अप्रैल तक चलने की उम्मीद है। ऐसे में चीनी का उत्पादन करीब 95 लाख टन होने का अनुमान है। यूं तो जनवरी के अंत तक प्रदेश की मिलों ने 676 लाख टन गन्ने की पेराई कर ली है। इससे 65 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है। उद्योग विशेषज्ञों का अनुमान है कि गन्ने की उपलब्धता बढ़ने से इसका फायदा अगले दो महीने तक जारी रहेगा।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बीबी वेस्टर्न इंडिया शुगर मिल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष थोंबरे ने कहा कि मिलें अगले 50-60 दिनों में गन्ने की स्थिर आपूर्ति प्राप्त करने के लिए तैयार हैं। इस आवक से पेराई के लिए 300 लाख टन से अधिक गन्ना उपलब्ध होने की उम्मीद है। दिलचस्प बात यह है कि बेमौसम बारिश के कारण अपंजीकृत गन्ना भी मिलों में पहुंच रहा है। हालांकि, गन्ने की आपूर्ति में इस अभूतपूर्व वृद्धि के कारण गन्ना कटरों की कमी हो गई है।

चीनी उद्योग के लिए वरदान

इसके अलावा, चीनी मिलों को नियामक प्रतिबंधों के कारण इथेनॉल उत्पादन में परिवर्तित करने में बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है। उद्योग विशेषज्ञों ने कहा कि बेमौसम बारिश के कारण विस्तारित पेराई सीजन महाराष्ट्र में चीनी उद्योग के लिए वरदान बन गया है। इससे क्षेत्र में उच्च उत्पादन स्तर और आर्थिक गतिविधि हुई है।

586 करोड़ था बकाया

चालू सीजन के दौरान महाराष्ट्र में 202 मिलें गन्ने की पेराई कर रही हैं। जनवरी में 441.01 लाख टन गन्ने का इस्तेमाल चीनी बनाने में किया गया था। हालांकि, चीनी मिलों ने किसानों को केवल 13,056 करोड़ रुपये का भुगतान किया, जो कुल देय एफआरपी का 96 प्रतिशत है। इसका मतलब है कि चिमी मिलों पर तब किसानों का 586 करोड़ रुपये बकाया था। मिलों के प्रदर्शन के विश्लेषण से पता चलता है कि 85 चीनी मिलों ने एफआरपी का 100 प्रतिशत तक भुगतान किया था। जबकि 50 मिलों ने कुल एफआरपी का 60 से 80 प्रतिशत के बीच भुगतान किया था।

117 फैक्ट्रियों का भुगतान लंबित था

हालांकि, 20 जनवरी तक इस सीजन के लिए 117 कारखानों के लिए भुगतान लंबित था। इससे किसान और किसान संगठन नाराज हो गए। किसानों ने चीनी मिलों को एफआरपी का पूरा भुगतान जल्द करने की मांग की थी। किसान संगठनों ने कहा कि अगर चीनी मिलें समय पर गन्ने का भुगतान नहीं करेंगी तो किसान उस पैसे से समय पर दूसरी फसलों की बुवाई कर सकेंगे।

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