केंद्र सरकार ने बांग्लादेश को 50,000 टन और यूएई को 14,000 टन प्याज निर्यात करने की अनुमति दी है। लेकिन इस निर्यात से प्याज उत्पादक खुश नहीं हैं। किसानों के मुताबिक ये घाटे का सौदा है। प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगाकर किसानों को बर्बाद करने वाली मोदी सरकार ने अब अगले साल भी प्याज की कीमतें न बढ़ें इसकी तैयारी शुरू कर दी है। इकोनॉमिक टाइम्स ने सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि प्याज की कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए केंद्र सरकार लोकसभा चुनाव तक प्याज निर्यात प्रतिबंध तैयार नहीं है। क्योंकि केंद्र सरकार चुनाव तक कोई जोखिम नहीं लेना चाहती। इसलिए प्याज निर्यात प्रतिबंध हटने की संभावना कम है। वही सरकार 5 लाख टन प्याज खरीद की योजना बना रही ताकि उत्पादन कम होने की सूरत में प्याज की कीमतें नियंत्रण में रहें।
असमंजस में किसान, निर्यात प्रतिबन्ध को लेकर सरकार का रुख स्पष्ट नहीं
वही महाराष्ट्र में खरीफ सीजन के प्याज अब खत्म होने की कगार पर है। मंडियों में इसकी आवक काफी कम हो गई है, जबकि रबी सीजन के प्याज आना शुरू हो गया है। जैसे ही नए प्याज की आवक बढ़ी दाम कम हो गया है और इससे किसानों की परेशानी बढ़ गई है। सरकार ने 31 मार्च तक निर्यात बंद किया हुआ है। किसान इस असमंजस में हैं कि लोकसभा चुनाव के दौरान पता नहीं 31 मार्च के बाद प्याज का निर्यात खुलेगा या नहीं।
निर्यात बंदी की वजह से उसे सही दाम नहीं मिल रहा
देश का सबसे बड़ा प्याज उत्पादक महाराष्ट्र है। यहां पर देश के कुल उत्पादन का लगभग 43 प्रतिशत प्याज पैदा होता है। राज्य में तीन सीजन में प्याज का उत्पादन होता है, जिसमें से सबसे महत्वपूर्ण रबी सीजन है, क्योंकि इस सीजन के ही प्याज को स्टोर करके रखा जाता है जो दिवाली तक चलता है। खरीफ सीजन का प्याज कम होता है और यह स्टोर करने लायक नहीं होता। अब रबी सीजन के प्याज निकलना शुरू हो गया है लेकिन निर्यात बंदी की वजह से उसे सही दाम नहीं मिल रहा।
केंद्र सरकार 5 लाख टन प्याज खरीदकर इसका बफर स्टॉक बनाने जा रही है
केंद्र सरकार प्याज निर्यात प्रतिबंध को 31 मार्च के बाद भी बढ़ा सकती है। उपभोक्ताओं और मतदाताओं को परेशान न करने के लिए केंद्र सरकार ने प्याज की कीमत कम करने का फैसला किया है। रातोरात निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया। इससे किसानों को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ. इतना सब करने के बाद भी केंद्र सरकार संतुष्ट नहीं हुई तो अब केंद्र सरकार 5 लाख टन प्याज खरीदकर इसका बफर स्टॉक बनाने जा रही है।
क़ीमतोंको नियंत्रण में रखने की सरकार की योजना
पिछले साल खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने 5 लाख टन प्याज स्टॉक में रखा था। उसमें से 1 लाख टन प्याज बचा हुआ है। इसलिए सरकार अगले साल तक प्याज का स्टॉक बनाये रखने के लिए एनसीसीएफ और नाफेड के जरिए प्याज खरीदने जा रही है। सरकार प्याज के दाम बढ़ने की सूरत में इस स्टॉक के जरिये क़ीमतोंको नियंत्रण में लाने की योजना बना रही है जिससे किसान नाराज हैं।
40 प्रतिशत एक्सपोर्ट ड्यूटी और निर्यात बंदी से पूरा खरीफ सीजन बर्बाद
कांदा उत्पादक संगठन, महाराष्ट्र के अध्यक्ष भारत दिघोले का कहना है पहले 40 प्रतिशत एक्सपोर्ट ड्यूटी और फिर निर्यात बंदी की वजह से पूरा खरीफ सीजन बर्बाद हो गया। किसानों को औने-पौने दाम पर प्याज बेचना पड़ा। हर किसान का 3 लाख रुपये से अधिक पैसा एक ही सीजन में मार दिया गया है। किसानों को राज्य सरकार की ओर से कोई आर्थिक मदद दी गई। इसलिए किसानों ने रबी सीजन में प्याज की खेती कम कर दी थी। अब सरकार से अपील है कि 31 मार्च से पहले निर्यात फिर से खोल दे ताकि रबी सीजन बर्बाद न हो। अगर निर्यात नहीं खोला गया तो प्याज की खेती और कम हो जाएगी। यह देश के लिए अच्छा नहीं होगा।