6 राज्यों में रेलवे का चक्का जाम करने के बाद अब किसान 14 मार्च को दिल्ली कूच करने की तैयारी में हैं। अब किसान 14 मार्च को दिल्ली के रामलीला मैदान में होने वाली महापंचायत के लिए निकलने की तैयारी में हैं। आगे की रणनीति के लिए किसान नेता 12 मार्च को सभी संगठनों के साथ बैठक कर सकते हैं।
पंजाब में किसानों ने आंदोलन को धार देते हुए रविवार को 52 जगहों पर 4 घंटे के लिए रेलवे ट्रैक जाम कर दिया। इसके चलते रेलवे विभाग ने 9 ट्रेनें रद्द कर दीं। कुल मिलाकर 100 से ज्यादा ट्रेनें प्रभावित हुईं। बेशक लोगों को आवाजाही में परेशानी हुई, लेकिन किसानों का एक दिवसीय रेल रोको आंदोलन पूरी तरह सफल रहा।
मांगें पूरी नहीं होने तक जारी रहेगा आंदोलन
पंजाब मजदूर किसान संघर्ष समिति के महासचिव सर्वम सिंह पंधेर ने कहा कि कल भारत के 6 राज्यों में रेल नाकाबंदी की गई। वहीं, 13 राज्यों में किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया। रेल रोको प्रदर्शनी हमारा सबसे सफल आयोजन था। उन्होंने कहा कि हम आंदोलन की रणनीति को लेकर बैठक करेंगे।इसमें एसकेएम, गैरराजनीतिक और केएमएम सहित अन्य दलों के किसान नेता भाग लेंगे और रणनीति तय की जायेगी। उन्होंने कहा कि मांगें पूरी नहीं होने तक आंदोलन जारी रहेगा।
किसान संगठन को एकजुट होने का अल्टीमेटम
हाल ही में किसान आंदोलन को लेकर रोहतक में करियाना सर्व खाप पंचायत ने सभी किसान संगठनों को एकजुट होने का अल्टीमेटम दिया है।12 मार्च तक किसान नेता बड़ा फैसला ले सकते हैं। दिल्ली बॉर्डर पर धरना दे रहे किसानों के साथ अब राजस्थान के किसान भी जुड़ गए हैं। राजस्थान के किसानों ने एमएसपी गारंटी कानून को लागु करने के लिए आज ट्रैक्टर मार्च से जयपुर के लिए कुछ की।
14 मार्च को किसान दिल्ली पहुंचेंगे
14 मार्च को किसान दिल्ली के रामलीला मैदान में होने वाली किसान महा पंचायत में हिस्सा लेने के लिए पंजाब से बड़ी संख्या में दिल्ली पहुंचेंगे। इससे पहले पंजाब के 22 जिलों में 60 जगहों पर रेल रोको प्रदर्शन किया गया। इससे 100 से ज्यादा ट्रेनें प्रभावित हुई हैं। जिससे रेल यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा। आंदोलन में शामिल भाकियू खोसा के प्रांतीय सचिव गुणवंत सिंह ने कहा कि सरकार की किसान विरोधी नीति के खिलाफ पूरे पंजाब में रेल रोको आंदोलन किया गया।इसका असर ट्रेनों पर पड़ा।किसान नेताओं का कहना है कि जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, हम अपना आंदोलन जारी रखेंगे।
केंद्र की भाजपा सरकार किसानों और मजदूरों के पक्ष में नहीं
यूनियन किसान मोर्चा गैर नीति के अध्यक्ष जगजीत सिंह दल्लेवाल के मुताबिक, सरकार की नीतियां किसानों को बार-बार विरोध प्रदर्शन करने के लिए मजबूर कर रही हैं। केंद्र के अलावा अन्य राज्यों में भी किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य नहीं दिया जाता है, जिसके कारण किसान कर्ज के बोझ तले दब जाते हैं और खुद यह काम करने को मजबूर होते हैं। साल 2022 में देशभर के किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की पूरी कीमत नहीं मिली। इससे उन्हें 14 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। केंद्र की भाजपा सरकार किसानों और मजदूरों के पक्ष में नहीं है।