प्राकृतिक खेती का चलन अब बढ़ रहा है। सरकार किसानों को प्राकृतिक खेती के फायदे बताकर प्रोत्साहित कर रही है। वही किसान अब रासायनिक खेती से होने वाले नुकसान को देखते हुए रसायन मुक्त खेती को अपना रहे हैं। उत्तर प्रदेश के 16 गांवों के किसानों ने प्राकृतिक खेती करने का फैसला किया है। किसानों ने अब जैव उर्वरकों के साथ-साथ नीम आधारित कीटनाशकों का भी प्रयोग करने का निर्णय लिया है। इससे न केवल उनकी उपज पोषण से भरपूर होगी बल्कि गंगा के पानी को स्वच्छ रखने में भी मदद मिलेगी।
16 गांवों के 1560 किसानों ने लिया फैसला
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में गंगा किनारे के 16 गांवों के किसानों ने अब रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग नहीं करने का फैसला किया है। केंद्र और राज्य सरकारों ने प्राकृतिक खेती की उपज के लिए बाजार विकसित करने में किसानों की सहायता करने का भी वादा किया है।16 गांवों के 1560 किसानों के फैसले से गंगा का पानी प्रदूषण से मुक्त होगा ।
जिले के फिरोजपुर, मजलिसपुर, तौकीर, महराज नगर, भुवापुर, शुक्रताल खादर, बिहारगढ़, इलाहाबास, सिताबपुरी, दरियापुर, दरियापुर खेड़ी, जलालपुर नीला, हंसा वाला, अल्लूवाला, सियाली, महमूदपुर लालपुर, जीवनपुरी, हुसैनपुर चर्चा का विषय बने हुए हैं।
किसानों को 12000 की सब्सिडी मिलेगी
कृषि विभाग की तरफ से किसानों को 12000 रुपये की सब्सिडी भी दी जाएगी। केंद्र सरकार की नमामि गंगे योजना के तहत प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को सरकार की ओर से 3 साल के लिए सीधी सब्सिडी प्रदान की गई है।
सब्सिडी के साथ प्रमाणपत्र भी होगा
पीजीएस इंडिया ग्रीन स्कोप सर्टिफिकेट जैविक खेती करने वाले किसानों को जारी किया जाता है। इस प्रमाणपत्र के बाद किसान अपना उत्पाद बेचने के लिए प्रमाणित हो जाता है। बाजार में इसकी कीमत भी अच्छी मिलती है। कृषि विभाग के उपनिदेशक संतोष यादव का कहना है कि इस खेती से न केवल पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में मदद मिलेगी, बल्कि फसल की लागत कम होकर किसानों की आय भी बढ़ेगी।