केंद्र सरकार द्वारा प्याज निर्यात पर रोक लगाए जाने के कारण इसके थोक भाव में लगातार गिरावट आ रही है। इस वजह से खुदरा बाजार में भी प्याज के दाम में गिरावट आई है। महाराष्ट्र के लासलगांव कृषि उपज मंडी समिति (एपीएमसी) में गुरुवार को लगातार तीसरे दिन प्याज के औसत थोक मूल्य में गिरावट दर्ज की गई। कहा जा रहा है कि इस मंडी में प्याज के थोक भाव में गुरुवार को करीब 10 फीसदी की कमी दर्ज की गई। कारोबारियों का कहना है कि आने वाले दिनों में प्याज के दाम में और गिरावट आ सकती है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सोमवार को 2100 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा प्याज का भाव गुरुवार को गिरकर 1900 रुपये क्विंटल पर आ गया और माना जा रहा है कि प्याज की कीमतों में गिरावट का यह सिलसिला आगे भी जारी रह सकता है। इससे प्याज उत्पादक किसानों को उचित लाभ नहीं मिल पा रहा है। जबकि, आम जनता को महंगाई से काफी हद तक राहत मिली है। उनका बिगड़ा हुआ किचन का बजट अब धीरे-धीरे पटरी पर आ रहा है। फिलहाल किसानों को जहां कीमत नहीं मिल रही है वहीं उपभोक्ताओं को ज्यादा कीमत पर प्याज खरीदना पड़ रहा है।
प्याज की मांग में भारी गिरावट आई
यह गिरावट 7 दिसंबर को केंद्र सरकार द्वारा प्याज निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के बाद शुरू हुई थी। 6 दिसंबर को प्याज का औसत थोक भाव 3900 रुपये प्रति क्विंटल दर्ज किया गया था। अब पिछले 15 दिनों में दाम में करीब 50 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। एपीएमसी के एक अधिकारी ने बताया कि निर्यात पर रोक के कारण प्याज की मांग में भारी कमी आई है।
मंडी में कम रही प्याज की आवक
एक अधिकारी ने बताया कि निर्यात पर रोक से मंडियों में भी प्याज की आवक बढ़ी है। लासलगांव में ताजा खरीफ प्याज की आवक बढ़कर 15,000 क्विंटल प्रतिदिन हो गई है। लेकिन यह अभी भी मांग से कम है। इससे प्याज के औसत थोक मूल्य में गिरावट आई है। गुरुवार को लासलगांव में प्याज का न्यूनतम और अधिकतम थोक भाव क्रमश: 800 रुपये और 2 रुपये था। यह 100 रुपये प्रति क्विंटल दर्ज किया गया। इस बीच, किसानों ने निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के फैसले पर निराशा व्यक्त की है। एक किसान ने कहा कि प्याज के थोक भाव बढ़ने से हमें बंपर मुनाफे की उम्मीद थी। लेकिन अब लगता है कि नुकसान उठाना पड़ेगा।