इस महीने की शुरुआत में तमिलनाडु में बेमौसम बारिश ने आलू की फसल को व्यापक नुकसान पहुंचाया है। इससे आलू के निर्यात में गिरावट आई है। बारिश ने कोयंबटूर जिले के मेट्टुपालयम में आलू की फसल को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। वहीं, किसानों का कहना है कि बारिश से उन्हें आर्थिक नुकसान हुआ है. ऐसे में सरकार को किसानों की मदद करनी चाहिए।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मेट्टुपालयम जिले के किसान बड़े पैमाने पर आलू की खेती करते हैं और मेट्टुपलायम को तमिलनाडु में आलू केंद्र कहा जाता है। यहां से आलू का निर्यात न केवल भारत में बल्कि, अन्य देशों को भी किया जाता है। व्यापारियों के अनुसार, मेट्टुपालयम केरल में लगभग 40 प्रतिशत आलू की आपूर्ति करता है। इसके बाद 30 प्रतिशत आलू तमिलनाडु के अलग-अलग बाजारों में भेजा जाता है। वहीं, तूतीकोरिन बंदरगाह के जरिए 30 फीसदी आलू श्रीलंका, मालदीव और दुबई को निर्यात किया जाता है. औसतन हर हफ्ते 2000 टन आलू दूसरे देशों को निर्यात किया जाता है।
आलू का बाजार भाव
ऐसे मेट्टुपालयम जिले में 70 से अधिक निजी आलू मंडियां हैं। इसके अलावा, नीलगिरी सहकारी उत्पादक बाजार समिति भी स्थानीय किसानों से आलू खरीद रही है। यह हर दिन किसानों से औसतन 1200 टन खरीदता है।कोटागिरी के पास डेनाड के एक किसान आर शिवकुमार ने कहा, ‘वर्तमान में आलू की 45 किलो की बोरी की कीमत 1,500 रुपये है।
आलू लगाने में इनपुट लागत 850 रुपये आती है
किसान के मुताबिक, आलू की एक बोरी उगाने की इनपुट लागत 850 रुपये आती है. वहीं, आलू को बाजार तक ले जाने में 150 रुपये प्रति बोरी का खर्च आता है। आलू के एक बैग की कुल कीमत 1000 रुपये आती है। लेकिन मुनाफा काफी कम हो रहा है। वहीं किसानों को, भी नुकसान उठाना पड़ रहा है। वहीं बाजार के व्यापारी आर तिरुमूर्ति ने कहा कि थूथुकुडी बंदरगाह पर परिचालन बंद होने से कीमत में कमी आई है। रविवार को, थोड़ी मात्रा में आलू निर्यात के लिए भेजा गया।