आलू को सब्ज़ियों का राजा कहा जाता है, भारत में शायद ही कोई ऐसा घर होगा जहा आलू का उपयोग न होता हो। घर में सब्ज़ी से लेकर बाज़ार में चाट पकौड़ी और चिप्स तक सभी में आलू का उपयोग होता है। ऐसे में आलू की खेती से बंपर मुनाफा कमाया जा सकता है।
कब और कैसे की जाती है आलू की खेती?
आलू की खेती के लिए ठंडी का मौसम सर्वोत्तम माना जाता है, हालांकि ठंड आने से पहले भी लोग आलू की अगेती किस्मो की खेती करते है जिससे उनको तगड़ा मुनाफा होता है। आलू की खेती मेड़ बनाकर की जाती है मेड़ की वजह से आलू भुरभुरी मिटटी में अच्छे से बैठता है। हालांकि अगर मेड़ के बिना आलू को बोया जाता है तो आलू के पौधें के डेढ़ महीने के हो जाने के बाद उस पर मिट्टी चढ़ा देनी चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि आलू पौधें उपर की तरफ होते है जिससे उन्हें पाले से नुकसान हो सकता है। ऐसे में आलू को पाले से बचने के लिए शेड या दवा का छिड़काव करना ज़रूरी होता है। आलू बोन से पहले खेत में गोबर की खाद का अच्छे से छिड़काव ज़रूर करना चाहिए, जिससे उसके पोषण में कमी न हो।
सही बीजो का चुनाव भी बेहद ज़रूरी :
आलू की बंपर पैदावार के लिए सही बीज और खेत का चुनाव करना बेहद ज़रूरी है आलू की खेती के लिए खेत की मिट्टी सख्त नहीं होनी चाहिए, इसकी खेती रेतीली मिट्टी में होती है। इसके अलावा सही बीज का चुनाव करना भी बेहद जरूरी है, आलू की खेती के लिए बीज 3 से 3.5 सेमी का होना चाहिए। आलू की फसल 4 महीने में तैयार हो जाती है।
कितनी लागत और कितनी होगी कमाई:
आलू की एक हेक्टेयर में खेती करने में करीब डेढ़ लाख का खर्च आता है, वही एक हेक्टेयर में 200 से 250 क्विंटल की पैदावार होती है जिससे करीब ढाई लाख रुपये का मुनाफा कमाया जा सकता है।