पिछले कुछ समय से पोल्ट्री सेक्टर एक बड़ी समस्या से जूझ रहा है। और यह समस्या मक्का है जो पोल्ट्री फीड में शामिल है और कीमत लगातार बढ़ रही है। पोल्ट्री कारोबारियों के मुताबिक मक्का के रेट में बढ़ोतरी अलग बात थी, लेकिन अब मक्के की कमी महसूस की जा रही है। जिसके कारण कारोबार में असर हो रहा है। मक्के की आवक में वह तेजी नहीं दिख रही है, जो पहले हुआ करती थी। यही वजह है कि मक्के से जुड़े चार मुर्गी पालन होते हैं बड़ी एसोसिएशनों ने केंद्र सरकार को पत्र लिखा है। कुछ फीड व्यापारियों का कहना है कि ऐसा लगता है कि मकई का स्टॉक किया जा रहा है।
बाजार में चार-पांच दिन की जरूरत के हिसाब से ही मक्का बिक रहा है। मक्का को लेकर पोल्ट्री सेक्टर में कोई खलबली नहीं है। फीड विशेषज्ञों के अनुसार पोल्ट्री सेक्टर फीड में कुल उत्पादन का 60 प्रतिशत और मक्का का 10 से 20 प्रतिशत पशु आहार में उपयोग किया जाता है।
अप्रैल में मिल सकती है मक्के की कमी से राहत
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया के कोषाध्यक्ष रिकी थापर ने बताया कि पोल्ट्री सेक्टर ही ऐसा क्षेत्र है, जहां फीड के मामले में मक्का का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। अब तक, हम केवल मक्का की बढ़ती दर से जूझ रहे थे। मक्के के रेट बढ़ने के बाद भी चिकन-अंडे पर असर नहीं पड़ा। क्योंकि यह आम आदमी को ज्यादा से ज्यादा और सस्ता प्रोटीन देने का माध्यम है। लेकिन अब एक नई तरह की समस्या पैदा हो गई है।
समस्या यह है कि मुर्गी पालन को उतना मक्का नहीं मिल रहा है जितना चारे के लिए चाहिए। बाजार में आवश्यकता के अनुसार मक्का की आवक नहीं हो रही है। हमारी मांग है कि सरकार जल्द से जल्द इस ओर ध्यान दे और कुछ कठोर कदम उठाए। वैसे भी हमारी उम्मीदें अब अप्रैल पर टिकी हैं। अगर इस महीने नया मक्का बाजार में आ जाता है तो शायद थोड़ी राहत मिल जाए।
देश में मक्के की कोई कमी नहीं
अगर खरीफ सीजन की बात करें तो मक्का उत्पादन बढ़ा है और सरकार द्वारा अक्टूबर में जारी अनुमानित आंकड़ों के अनुसार मक्का उत्पादन बढ़ा है। आंकड़ों के अनुसार मक्का उत्पादन 224.82 लाख मीट्रिक टन अनुमानित है। इसमें करीब 11 लाख टन की बढ़ोतरी बताई जा रही है। आंकड़ों के अनुसार मक्का के उत्पादन क्षेत्र में भी वृद्धि हुई है। दो महीने बाद बाजार पर नया मक्का आएगा।