साल 2023 में आयात नियमों में ढील से खाद्य तेल का रिकॉर्ड आयात हुआ, 2024 में उत्पादन बढ़ने का अनुमान

edible oil

भारतीय खाद्य तेल क्षेत्र के लिए साल 2023 शानदार रहा है। उपभोक्ताओं को सस्ती कीमत पर खाद्य तेल उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने 2023 में आयात नियमों में ढील दी, जिससे खाद्य तेल आयात एक नया रिकॉर्ड बन गया। आंकड़ों के अनुसार, 2022-23 नवंबर से अक्टूबर की अवधि के दौरान भारत का खाद्य तेल आयात 164.66 लाख टन रहा, जो अब तक का सर्वाधिक है। इससे पहले 2021-22 की इसी अवधि में 140.29 लाख टन का आयात किया गया था, जिसके मुकाबले इस साल 17.36 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। वहीं, तेल क्षेत्र के लिए भी साल 2024 बेहतर रहने की संभावना है, क्योंकि उत्पादन अनुमान पिछले वर्षों की तुलना में अधिक है।

सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के कार्यकारी निदेशक बीवी मेहता ने बिजनेसलाइन को बताया कि खाद्य तेल तेल वर्ष 2022-23 में लगभग 1.38 लाख करोड़ रुपये के आयात बिल के साथ तीसरी सबसे बड़ी आयात वस्तु बन गई है। खाद्य तेलों की घरेलू कीमतों को कम रखने के लिए सरकार ने नियमों में ढील दी और आयात शुल्क कम रखा।

सरकार ने आयात शुल्क में कटौती की

सरकार ने जून में रिफाइंड सोयाबीन और सूरजमुखी तेल पर आयात शुल्क 17.5 प्रतिशत से घटाकर 12.5 प्रतिशत कर दिया था। अब रिफाइंड तेलों के लिए उपकर सहित लागू आयात शुल्क 13.75 प्रतिशत है। 20 दिसंबर तक सूरजमुखी तेल की खुदरा कीमत में सालाना आधार पर 25.5 फीसदी की गिरावट आई है। सरसों तेल की कीमतों में 18.2 प्रतिशत, सोयाबीन तेल में 17.9 प्रतिशत और पाम तेल में 13.7 प्रतिशत की गिरावट आई।

आयात की कीमतों में गिरावट

2023 में खाद्य तेलों के आयात मूल्यों में बड़ी गिरावट देखी गई। आरबीडी पामोलिन का सीआईएफ आयात मूल्य जनवरी के 982 डॉलर प्रति टन से घटकर नवंबर में 876 डॉलर प्रति टन रह गया। कच्चे सोयाबीन तेल का आयात मूल्य जनवरी के 1,285 डॉलर प्रति टन से घटकर नवंबर में 1,068 डॉलर प्रति टन रह गया। वहीं, कच्चे सूरजमुखी तेल की कीमत जनवरी में गिरकर 1,295 डॉलर प्रति टन और नवंबर में 979 डॉलर प्रति टन पर आ गई।

दाम कम होने से बढ़ी खपत

कीमतों में गिरावट के कारण 2023 में खाद्य तेलों की प्रति व्यक्ति खपत में करीब 1 किलो की बढ़ोतरी हुई। उन्होंने कहा, ‘पहले हम एक साल में लगभग 16.5 किलोग्राम खाद्य तेल की खपत कर रहे थे। अब यह लगभग 17.5 किलोग्राम है। इसका मुख्य कारण सस्ते तेल की उपलब्धता के साथ-साथ उपभोक्ताओं की प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि है।

तिलहन की उपलब्धता और उत्पादन अनुमान

भारत में तिलहन और खाद्य तेल का उत्पादन बढ़ा है। एसोसिएशन के अनुमान के अनुसार, तेल वर्ष 2022-23 के दौरान तिलहन 267.63 लाख टन और 75.19 लाख टन खाद्य तेल बेचने के लिए उपलब्ध था।जबकि, 2021-22 के दौरान, बिक्री के लिए तिलहन 243.96 लीटर और खाद्य तेल की उपलब्धता 70.86 लाख टन थी।

सरकार ने 2023-24 के लिए 215.33 लाख टन तिलहन उत्पादन का अनुमान लगाया है।इस साल सोयाबीन फसल का उत्पादन 115.28 लाख टन होने का अनुमान है। वहीं, मूंगफली की फसल 78.29 लाख टन होने का अनुमान है। रकबे में गिरावट के बावजूद गुजरात में मूंगफली की फसल 33.4 लाख टन रहने का अनुमान है। जो पिछले साल 30 लाख टन था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *