पिछ्ले कुछ समय से मौसम में लागातार परिवर्तन देखा जा सकता है। मौसम में कभी ठंडी और गर्मी की वजह से लोगो को लागातार परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में पहाड़ों पर भी मौसम में गजब का परिवर्तन देखने को मिल रहा है क्योंकि, पहाड़ों पर मार्च के महीने में बर्फबारी हो रही हैं।
ग्लोबल वार्मिंग का असर
पर्यटकों को इस बर्फबारी का भरपूर आनंद मिल रहा है, हालाकि आने वाले समय में ये काफी नुकसान दे सकता है।
बढ़ते टेंप्रेचर से सिकुड़े ग्लेशियर
कई रिपोर्ट्स मे ऐसा सामने आया है कि, हिमालय इस समय अपने सबसे बडे़ चेंज से गुज़र रहा है । हिमालय की परमानेंट स्लो लाइन पहले की तुलना में 100 मीटर पीछे रह गईं हैं। इसके साथ ही ठंड के टाइम 1 डिग्री टेंपरेचर बढ़ जानें से ग्लैशियर तीन किलोमीटर तक सिकुड़ चुके हैं। ऐसे में बर्फबारी का समय भी पहले से आगे चला गया है।
बदल सकता है पहाड़ों पर बर्फ़बारी का समय
ऐसा मना जा रहा है कि, दिसंबर जनवरी मे शुरु होने वाली बर्फबारी फरवरी मार्च के महीने में शुरु होकर अभी तक चल रहीं हैं। रिर्पोट की माने तो अगर आने वाले समय मे भी कंडीशंस ऐसी ही रही तो कुछ सालो बाद बर्फबारी का समय पूरी तरह से बदल जायेगा।
हिमालय के नॉर्थ ईस्ट हिस्से पर बुरा असर
एक्सपर्ट्स के अनुसर ठंड में टेंपरेचर कम होने की वजह से दिसंबर, जनवरी मे होने वाली बर्फबारी से पहले बर्फ जम जाती थी लेकीन, टेंपरेचर अधिक होने की वजह से बर्फ पिघल जा रही है। इस चीज का सबसे ज्यादा असर नॉर्थ ईस्ट के हिमालय के हिस्से पर पड़ रहा है।