कटाई के बाद पराली धान किसानों के लिए सबसे बड़ी समस्या बन जाती है। पंजाब और हरियाणा में किसान फसल कटाई के बाद पराली जला देते हैं, जिससे दिल्ली-एनसीआर में हर साल प्रदूषण असहनीय स्तर पर पहुंच जाता है। इसे रोकने के लिए किसानों पर कानूनी कार्रवाई तक की जाती रही है, लेकिन अभी तक कोई स्पष्ट समाधान नहीं निकल पाया है। ऐसे में आज आज हम आपको एक ऐसी मशीन से रूबरू कराएंगे जो पराली हटाने का बेहतरीन उपाय है। इस मशीन का नाम सुपर सीडर है। हम आपको बताएंगे कि यह मशीन किसानों को पराली से निपटने में कैसे मदद करती है और इससे क्या फायदा मिलता है।
क्या है ‘सुपर सीडर’ मशीन?:
पराली की समस्या से छुटकारा पाने के लिए वैज्ञानिकों ने सुपर सीडर मशीन को विकसित किया है। ये मशीन ना सिर्फ किसानों को पराली जलाने से बचाती बल्कि उनकी खेती का लागत भी कम करती है. सुपर सीडर असल में तीन मशीनों को जोड़कर एक मशीन बनाई गई है. इसमें एक प्रेस व्हील्स के साथ रोटरी टिलर और सीड प्लांट को जोड़ा गया है। सुपर सीडर का इस्तेमाल धान, गेहूं और चना जैसे बीज बोने के लिए किया जाता है।
इतना ही नहीं सुपर सीडर मशीन का केवल पराली ही नहीं बल्कि इसका उपयोग गन्ना, कपास, मक्का, केले आदि जैसी कई फसलों के ठूंठो को हटाने के लिए भी किया जा सकता है। सुपरसीडर वास्तव में एक मल्टीटास्किंग डिवाइस है। इससे किसानों को एक ही समय में बुआई, मल्चिंग और खाद डालने की सुविधा मिलती है। सीधे शब्दों में कहें तो यह मशीन खेती को बहुत आसान बना देती है।
सुपर सीडर मशीन के क्या फायदे हैं?
इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह मशीन पराली को बिना जलाए खेत में ही नष्ट कर देती है।
इसके अलावा, सुपर सीडर खेत की तैयारी में काफी समय बचाता है।
इस प्रकार, सुपर सीडर किसान की लागत को भी काफी कम कर देता है।
सबसे खास बात यह है कि इस मशीन से एक ही ऑपरेशन में बीज बोने और मिट्टी तैयार करने का काम एक साथ किया जा सकता है. इसके अलावा सुपर सीडर मशीन के इस्तेमाल से सबसे कठिन माना जाने वाला पराली प्रबंधन, सबसे आसानी से किया जा सकता है. यह मशीन पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण से भी बचाती है और मिट्टी के पोषक तत्व भी नष्ट नहीं होते है।
कैसे काम करती सुपर सीडर मशीन?:
जब धान या गेहूं की हारवेस्टर से कटाई होती है तो पराली या तो खेत में खड़ी रहती है फिर पड़ी रहती है। सुपर सीडर मशीन इस पराली पर सीधे बिजाई कर सकती है। सुपर सीडर मशीन धान और गेहूं की पराली को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर मिट्टी में मिलाती जाती है। फिर इसके ऊपर से गेहूं या सरसों की बिजाई के लिए सुपर सीडर बीज भी डालता जाता है।
ये मशीन एक घंटे में एक एकड़ जमीन में फैली पराली को नष्ट कर देती है और उसके ऊपर से नई बुआई करती है। इस क्रम में मिट्टी में दबी पराली गलकर खाद बन जाती है. इससे होता ये है कि जमीन की उर्वरक शक्ति बढ़ जाती है और पैदावार भी अधिक होती है। इतना ही नहीं इस प्रक्रिया के कारण जमीन पानी भी ज्यादा सोखने लगती है। इस तरह सुपर सीडर मशीन फसलों की बुआई कर देती है और किसानों को पराली भी नहीं जलानी पड़ती।
कीमत और सब्सिडी:
सुपर सीडर मशीन के कई सारे मॉडल आते हैं। मास्कीओ गास्पार्दो, केएस ग्रुप, शक्तिमान आदि । भारत में सुपर सीडर बेचने वाली कुछ लोकप्रिय कंपनियां हैं। यह मशीन भी कई कैटेगरी में उपलब्ध है और इसकी कीमत उन पर निर्भर करती है। सुपर सीडर मशीन की कीमत 80,000 रुपये से 2.99 लाख रुपये तक है।
हालाँकि, कई राज्य सरकारें सुपर बीजों के लिए सब्सिडी भी प्रदान करती हैं। मध्य प्रदेश सरकार सुपर सीडर्स को 40 प्रतिशत तक सब्सिडी देती है। इस मशीन की खरीद पर हरियाणा सरकार 50 प्रतिशत तक सब्सिडी दे रही है और पंजाब सरकार भी इस पर सब्सिडी दे रही है। यदि कई किसान एक साथ सोसाइटी के माध्यम से सुपर सीडर खरीदते हैं, तो 80 प्रतिशत तक की सब्सिडी प्राप्त की जा सकती है।