फसलों पर टिड्डियों के हमले को रोकेगी ये सोलर मशीन, जानिए कितनी है कीमत

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भारत एक कृषि प्रधान देश है और 75 प्रतिशत से अधिक आबादी की आजीविका कृषि पर निर्भर करती है। यहां किसान लाखों हेक्टेयर में रबी, तिलहन, दलहन, , खरीफ और बागवानी फसलों की खेती करते हैं। लेकिन हर साल कीटों के कारण किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। ये कीट झुंड में आते हैं और फसल को नष्ट कर देते हैं। ऐसे में फसल को कीटों के हमले से बचाने के लिए किसानों को कीटनाशकों की जरूरत होती है। छिड़काव करना पड़ता है, जो काफी महंगा होता है। लेकिन अब किसानों को कीटों के प्रकोप से परेशान होने की जरूरत नहीं है। क्योंकि बाजार में कीटों को नियंत्रित करने वाला उपकरण आ चुका है।

दरअसल, पुडुचेरी के एक उद्यमी अब्दुल कधर ने एक ऐसी सोलर मशीन विकसित की है, जिसके जरिए कीटों को नियंत्रित किया जा सकता है। खास बात यह है कि इसकी कीमत भी बहुत ज्यादा नहीं है। सिर्फ एक शीन की कीमत 2,625 रुपये है। खास बात यह है कि यह उपकरण तमिलनाडु में किसानों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। किसानों का कहना है कि इस उपकरण की मदद से कीटों को खेत से बाहर निकालने में काफी मदद मिलती है।

एलईडी तकनीक से बनी मशीन

एक उद्यमी अब्दुल काधर ने कहा कि जाल के माध्यम से कीटों को नियंत्रित करने की विधि देश में बहुत पुरानी है। बाजार में विभिन्न डिजाइनों में कीट नियंत्रण जाल हैं। लेकिन हम कुछ अलग करना चाहते हैं, एक जो सौर ऊर्जा संचालित हो और ईंधन या बिजली पर निर्भर न हो। ऐसे में हमने कीटों को आकर्षित करने के लिए एक एलईडी तकनीक विकसित की, जो पराबैंगनी प्रकाश की मदद से कीटों को नियंत्रित करती है।

इस तरह यह काम करता है उपकरण

यह उपकरण स्वचालित रूप से संचालित होता है। शाम को यह 6 से 7 बजे अपने आप ऑन हो जाता है और फसलों के ऊपर रोशनी बिखेरना शुरू कर देता है। वहीं, रात 12 बजे से कुछ देर पहले माइक्रो कंट्रोलर चिप की मदद से यह बंद हो जाता है। उद्यमी अब्दुल कादर का कहना है कि हर सेकंड 10 वयस्क कीड़े प्रकाश की ओर आकर्षित होते हैं।

निर्भरता 50 प्रतिशत तक कम हो गई

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक धान, गन्ना, सब्जी, आम, अनार, अमरूद, नारियल, चाय, कॉफी और चमेली के खेतों में कीटों को नियंत्रित करने के लिए पूरे तमिलनाडु में इस उपकरण का परीक्षण किया जाता है। तमिलनाडु के विल्लुपुरम जिले के एक किसान किलियानूर के पिल्लई कहते हैं, “मैं पिछले दो महीनों से अपने खेत में इस उपकरण का परीक्षण कर रहा हूं और देख रहा हूं कि सफेद मक्खियों, हॉपर्स, स्टेम बोरर्स और पत्ती घुमाने वाले कीटों को काफी अच्छी तरह से नियंत्रित किया गया है। वहीं, एक किसान का कहना है कि इस मशीन के इस्तेमाल से बायोपेस्टिसाइड्स के इस्तेमाल पर निर्भरता 50 फीसदी तक कम हो गई है।

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