बिपरजॉय चक्रवात से राजस्थान और गुजरात का जनजीवन काफी प्रभावित हुआ है। अधिक बारिश होने के कारण दोनों राज्यों के किसानों को काफी नुकान हुआ है। खेत में लगी किसानों की फसलें भी बर्बाद हुई हैं। जबकि दूसरे राज्यों में खरीफ की फसलों के लिए फायदेमंद हो सकता है।
देश में इन दिनों बिपरजॉय चक्रवात ने कहर ढा दिया है । तूफान से गुजरात और राजस्थान में काफी क्षति हुई है। इन राज्यों में चक्रवाती हवाओं और भारी बारिश के कारण खेती से लेकर लोगों को भी काफी नुकसान पहुंचा है। वहीं दूसरे राज्यों में धान की खेती के लिए यह चक्रवाती तूफान फायदेमंद साबित हो सकता है। धान का उत्पादन करने वाले राज्य उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, और छत्तीसगढ़ में अगले 1 महीने तक अच्छी बारिश की संभावना है। इन राज्यों में प्री-मॉनसून में कम बारिश हुई है। जिससे कि किसानों कि फसलों को काफी नुकसान हुआ है।
चक्रवात के चलते मानसून के आगमन में होगी देरी
उत्तर प्रदेश के किसान बड़े पैमाने पर धान की खेती करते है। इस बार प्री-मॉनसून के दौरान उत्तर प्रदेश में 93% की कम हुई है जबकि बिहार में 83% बारिश कम हुई है। वहीं अब बिपरजॉय चक्रवात के कारण बंगाल की खाड़ी में मॉनसून ठहरेगा जिससे वर्षा की स्थिति सुधारेगी। मौसम वैज्ञानिक अमरेंद्र यादव के अनुसार चक्रवात के कारण मानसून की आगमन में देरी होगी लेकिन आगे आने वाली वर्षा के साथ धान की बुवाई तेजी से बढ़ेगी। उत्तर प्रदेश में कृफ की फसलें हीटवेव से काफी प्रभावित हुई हैं उनको 20 जून के बाद राहत मिलने की उम्मीद है।
धान की फसल को होगा फायदा
भारतीय मौसम विभाग के पूर्वानुमान के मुताबिक उत्तर प्रदेश में 20 से 21 जून के आसपास निम्न दाब का क्षेत्र बनेगा जिससे बंगाल की खाड़ी में रुकी हुई हवा पूर्वी दिशा में बढ़ेगी इसके परिणामस्वरूप 20 जून तक बिहार और झारखंड में बारिश के आसार हैं। वहीं 30 जून तक पूर्वी उत्तर प्रदेश में भी मानसून पहुंचने की संभावना है। चक्रवाती हवाओं के पश्चिमी यूपी और उत्तराखंड में बढ़ने के साथ बंगाल की खाड़ी में मानसून की गति तेजी से बढ़ेगी। इससे पश्चिमी यूपी और दिल्ली के आसपास के क्षेत्रों में मानसून से पहले ही अच्छी बारिश की संभावना है। यह बारिश धान की फसल के लिए फायदेमंद साबित होगी। बारिश से किसान भाइयों के मुरझाये चहरे एक बार फिर खिल जायेंगे।