सांगली : महाराष्ट्र एपीएमसी को लेकर केंद्र की नीतियों का बाजार समितियों ने पुरजोर विरोध किया है। केंद्र सरकार की नई नीति के मुताबिक कृषि उपज बाजार समितियों को राष्ट्रीय दर्जा दिया जायेगा और निदेशक मंडल को खत्म कर प्रशासनिक बोर्ड की नियुक्ति की जाएगी। बाजार समिति संशोधित कानून का विरोध, कानूनी तरीकों से आपत्ति लेने का निर्णय पश्चिमी महाराष्ट्र के विभिन्न बाजार समितियों के अध्यक्ष, निदेशक प्रतिनिधियों की सांगली बाजार समिति में आयोजित एक बैठक में लिया गया। सांगली कृषि उपज बाजार समिति के वसंत बाजार प्रांगण में सांगली, सतारा, रत्नागिरी, कोल्हापुर, सिंधुदुर्ग जिलों की बाजार समितियों के प्रतिनिधियों की एक बैठक आयोजित की गई।
बाजार समितियों के प्रतिनिधियों की बैठक आयोजित
सांगली कृषि उपज बाजार समिति के वसंत बाजार प्रांगण में सांगली, सतारा, रत्नागिरी, कोल्हापुर, सिंधुदुर्ग जिलों की बाजार समितियों के प्रतिनिधियों की एक बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में संतोष पुजारी (अध्यक्ष अटपाडी बाजार समिति), पोपट चारापले (शिराला बाजार समिति), संदीप पाटिल (अध्यक्ष इस्लामपुर बाजार समिति), शंकरराव पाटिल (उपाध्यक्ष कोल्हापुर बाजार समिति), भानुदास यादव (लोनंद बाजार समिति), राजेंद्र पाटिल (पाटन बाजार) समिति), संभाजी चव्हाण (उपाध्यक्ष कराड बाजार समिति), सांगली बाजार समिति (उपाध्यक्ष रावसाहेब पाटिल) के साथ-साथ रत्नागिरी, वीटा, गढ़िंगलाज, तासगांव, वाई, दहीवाड़ी, वडुज, पेठ वडगांव, लोनंद, पलुस की बाजार समितियों के अध्यक्ष उपस्थित थे।
सांगली बाजार समिति के अध्यक्ष सुजय शिंदे ने कहा कि महाराष्ट्र कृषि उपज विपणन विकास और विनियमन अधिनियम में नए संशोधन प्रस्तावित किए गए हैं। बाजार समिति की स्थापना के पीछे मुख्य उद्देश्य किसानों को ठगे जाने से बचाना था। लेकिन नये कानून से बड़े व्यपारियों का एपीएमसी पर कब्ज़ा हो जायेगा और छोटे व्यापारी और किसानों को उनके हक़ के लिए लड़ना पड़ेगा। बाजार समिति का प्रबंधन बोर्ड लोकतांत्रिक तरीके से चुना जाना चाहिए।
कोल्हापुर कृषि उपज बाजार समिति के सदस्य सलाहकार प्रकाश देसाई ने कहा कि हर बाजार समिति की अलग-अलग बाधाएं हैं। नए सुधारों में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, निदेशक मंडल, किसान प्रतिनिधियों का चुनाव लोकतांत्रिक तरीके से किया जाना चाहिए। चर्चा में विभिन्न बाजार समितियों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया और इस कानून का पुरजोर विरोध किया है।
आंदोलन की दिशा की जायेगी तय
प्रतिनिधियों का कहना था कि नया बदलाव समितियों को आर्थिक संकट में डाल देगा। छोटे व्यापारी व्यापार से बाहर हो जायेंगे और बड़े पूंजीपति व्यापारियों का एकाधिकार बन जायेगा। किसानों, व्यापारियों को बाधाओं का सामना करना पड़ेगा। पश्चिमी महाराष्ट्र और कोंकण क्षेत्र की बाजार समितियों ने कानून के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने का फैसला किया है। इसके लिए सांगली, कोल्हापुर,कऱ्हाड, रत्नागिरी, वीटा बाजार समितियां पहल करेंगी और आंदोलन की दिशा तय करेंगी।