पिछले दस सालों में दालों के उत्पादन में 60 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। केंद्र सरकार देश में दालों का उत्पादन बढ़ने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। मसूर और अन्य दालों के उत्पादन में विविधता लाने के लिए किसानों को दालों की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके अलावा ‘भारत दाल’ एनसीसीएफ और नेफेड के जरिये भी बेची जा रही है। इससे आम आदमी को महंगाई से बड़ी राहत मिली है। इस बीच ,पिछले 10 वर्षों में दालों का उत्पादन 60 प्रतिशत बढ़ गया है।
केंद्रीय खाद्य एवं वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के मुताबिक़ ,’भारत दाल ‘ने बाजार में अच्छी पकड़ बना ली है। क्योंकि इसने चार महीने में 25 फीसदी मार्केट शेयर पर कब्ज़ा कर लिया है। ग्लोबल पल्स कन्फेडरेशन द्वारा नेफेड ले साथ आयोजित एक वैश्विक कार्यक्रम पल्सेस 24 में बोलते हुए, गोयल ने कहा कि नेफेड और एनसीसीएफ हमारे किसानों को अन्य फसलों की तरह दालों में विविधता लाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे है। इसके आलावा वे उनसे दाल खरीदने में भी दिलचस्पी रखते है। किसानों से दाल खरीद का समझौता पांच साल के लिए किया जा रहा है। ताकि किसान दलहन का उत्पादन बढ़ा सकें। उन्होंने यह भी कह कि किसानों को दाल के बदले बहुत अच्छी कीमत मिलेगी।
दालों में कितना बढ़ा MSP
केंद्रीय खाद्य एवं वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के मुताबिक़,नरेंद्र मोदी सरकार भारत में दाल और अन्य दालों के उत्पादन और खपत को समर्थन और बढ़ावा देने के लिए प्रयास कर रही है। सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर दालों कि खरीद के जरिये किसानों कि मदद करती है। जो कि एक स्वतंत्र संगठन सीएसीपी द्वारा निर्धारित किया जाता है। आज भारत में एमएसपी सुनिश्चित है, जो उत्पादन लागत से 50 प्रतिशत अधिक है। जिससे किसानों को उनकी उपज के बदले अच्छा रिटर्न मिलता है। आज MSP पहले कि तुलना में बढ़ी है। मसूर साल में 117 फीसदी ,मूंग में 90 फीसदी ,चना दाल में 75 फीसदी और अरहर और उड़द में 60 फीसदी कि बढ़ोतरी हुई है।
दालों के उत्पादन में 60 फीसदी कि बढ़ोतरी
पिछले दस वर्षों में दालों का उत्पादन लगभग 60 प्रतिशत बढ़कर लगभग 27 मिलियन टन हो गया है। सरकार ने हाल ही में भारत ब्रांडेड गेहूं का आटा,चावल और दाल लॉन्च किया है। चार महीने की बहुत ही कम अवधि में भारत दाल ने भारत के चना दाल बाजार की 25 प्रतिशत हिस्सेदारी पर कब्ज़ा कर लिया है। अधिकांश ई-कॉमर्स साइटों पर उपलब्ध है, इसकी रैकिंग दूसरो की तुलना में काफी बेहतर है। इससे स्पष्ट है कि हमारे किसान उच्च गुणवत्ता वाली दालों का उत्पादन करते है और दालें सरकार के सहयोग से आम आदमी को सस्ती कीमतों पर उपलब्ध कराई जाती है।
दस वर्षों में दालों कि खरीद 18 गुना बढ़ी
पिछले दस वर्षों में दालों कि खरीद 18 गुना बढ़ गयी है। 2015 में ,बफर स्टॉक कि शुरुआत ने सुनिश्चित किया गया कि सरकार को उपभोक्ताओं की मध्यम कीमतों और मूल्य स्थिरता तक पहुंच होगी। इन प्रयासों से यह सुनिश्चित करने में मदद मिली है। जब विकसित दुनिया को मुद्रास्फीति कि चुनौतियों का सामना करना पड़ा तब भारत खाद्य मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में सक्षम था।