राज्य में बदलते मौसम और लगातार हो रही बारिश ने किसानों का सिर दर्द बढ़ा दिया है। अनुमान है कि पिछले दो दिनों में विदर्भ में ओलावृष्टि और बारिश से करीब 38,000 हेक्टेयर फसल को नुकसान हुआ है। यवतमाल जिले में सबसे अधिक 9789 हेक्टेयर फसल का नुकसान हुआ है। वगीं महाराष्ट्र के विदर्भ में अधिकांश जिले एक बार फिर बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि की चपेट में आ गये। जानकारी के मुताबिक विदर्भ में 10 और 11 फरवरी को लगातार दो दिन बारिश दर्ज की गई। सबसे ज्यादा पूर्वी विदर्भ के जिले प्रभावित हैं। वही अकोला और बुलढाणा जिले में स्थिति अलग है यहां बारिश का ज्यादा असर नहीं दिखाई दिया।
नागपुर जिले में बारिश का कहर
बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से नागपुर जिला सर्वाधिक प्रभावित हुआ है। यहां के 11 तालुका के 363 गांव में बारिश ने कहर ढाया है। कृषि अधिकारी के अनुसार यहां बारिश के कारण 11700 किसानों की 950 हेक्टेयर फसल बर्बाद हो गयी है। जबकि यवतमाल जिले में 3140 हेक्टेयर और उमरखेड तालुका में 6072 हेक्टेयर फसल को नुकसान हुआ है।
विदर्भ के सभी जिले में मौसम की मार
विदर्भ के अमरावती तालुक में 2575 हेक्टेयर क्षति पहुंची है तो वही गोंदिया जिले में केवल अर्जुनी मोरगांव तालुका में मक्के की फसल का नुकसान हुआ। यहीं 17 गांवों के 318 किसानों की 90 हेक्टेयर मक्के की फसल प्रभावित हुई है।
फसलों पर बढ़ सकता है कीटों का प्रकोप
वर्धा जिले के 111 गांवों में 6356 किसानों की कुल 4423 हेक्टेयर जमीन खराब हुई है। तो वही भंडारा जिले के साकोली, लाखनी, पवनी तालुकों में 1900 हेक्टेयर भूमि बारिश के कारण प्रभावित हुई है। बारिश और ओलावृष्टि के कारण रबी सीजन में फसलों पर कीटों का प्रकोप बढ़ने का खतरा भी मंडराने लगा है।
सरकार का दावा- वह है किसानों के साथ
इस बीच, जिले में हुए नुकसान को ध्यान में रखते हुए वन मंत्री और चंद्रपुर के संरक्षक मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने तत्काल सर्वेक्षण के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार आपदा पीड़ितों के साथ मजबूती से खड़ी है। सरकार किसी भी किसान को इस प्रकार की विपदा में अकेला नहीं छोड़ेगी।