कल दिल्ली के रामलीला मैदान पर किसानों का सबसे बड़ा जमघट लगेगा। 13 फरवरी से दिल्ली बॉर्डर पर अपनी मांगों को लेकर डेट किसान आखिरकार कल दिल्ली जाकर अपनी एकता का लोहा मनवाएंगे। सभी फसलों पर एमएसपी गारंटी कानून लागू करने सहित अन्य मांगों को लेकर किसान 14 मार्च को दिल्ली के रामलीला मैदान में पंचायत करने आ रहे है। देश के हर हिस्से से किसान कल की महापंचायत के लिए एकजुट हो रहे हैं। इस बिच दिल्ली की सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए दिल्ली पुलिस ने दिल्लीवासियों से अनुरोध किया है कि यदि संभव हो तो उपर्युक्त सड़कों से बचें या बाईपास करके और सार्वजनिक परिवहन, विशेष रूप से मेट्रो सेवाओं का अधिकतम उपयोग करें।
इसके अलावा, आम जनता को सलाह दी जाती है कि वे उपर्युक्त सड़कों और जंक्शनों के माध्यम से सड़क यात्रा की योजना बनाते समय पर्याप्त समय रखें। जो लोग आईएसबीटी, रेलवे स्टेशन या हवाई अड्डे की ओर जा रहे हैं, उन्हें सलाह दी जाती है कि वे पर्याप्त समय रखते हुए सावधानीपूर्वक अपनी यात्रा की योजना बनाएं।
कल 14 मार्च को किसानों का महापंचायत
सयुंक्त किसान मोर्चा ने 14 मार्च को दिल्ली के रामलीला में होने वाली शांतिपूर्ण किसान मजदुर महापंचायत में किसनों और मजदूरों को शामिल होने की अपील की है। एसकेएम ने महापंचायत में भाकियू के शामिल होने का स्वागत किया गया है। महापंचायत केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ लड़ाई को तेज करने और खेती ,खाद्य सुरक्षा ,आजीविका के लिए संकल्प पत्र अपनाएगी। महापंचायत में केंद्रीय ट्रेड यूनियनों, अन्य ट्रेड यूनियनों, क्षेत्रीय फेडरेशनों और एसोसिएशनों के संयुक्त मंच के प्रतिनिधि भाग लेंगे। एसकेएम ने सभी लोगों और संगठनों, मजदूरों, छात्रों, युवाओं और महिलाओं के संघों से महापंचायत में शामिल होने की अपील की है।
दिल्ली पोलिस ने एनओसी की दी इजाजत
संयुक्त किसान मोर्चा ने दावा किया है कि दिल्ली पुलिस ने किसानों को रामलीला मैदान में एक महापंचायत आयोजित करने की अनुमति दी है और उन्होंने आश्वासन दिया है कि उन्हें पानी ,शौचालय , एक एंबुलेंस और अन्य बुनियादी सुविधा भी दी जाएगी। संयुक्त किसान मोर्चा ने 14 मार्च को रामलीला मैदान में होने वाली किसान मजदूर महापंचायत में बड़ी संख्या में किसानों और खेत मजदूरों से भाग लेने और मोदी सरकार को किसानों की एकता दिखाने की अपील की है।
यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ समझौते पर हस्ताक्षर का विरोध
केंद्र सरकार द्वारा विकसित यूरोपीय देशों के तथा यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ समझौते पर हस्ताक्षर करने का विरोध किया है। कहा गया है की यह समझौता मत्सय पालन,डेयरी,बागवानी, कृषि जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में छोटे उत्पादकों की ताकत को खत्म कर देगा, जिससे करोड़ों किसान और मजदुर परिवारों की आजीविका पर संकट आ जाएग। कहा गया कि आसियान जैसे पहले के एफटीए ने रबर ,कालीमिर्च, नारियल आदि नकदी फसल के किसनों के जीवन को तबाह कर दिया था।