विदेशी फूलों की खेती कमाई का अच्छा जरिया बन सकती है। आजकल गिफ्ट के तौर पर लोग फूलों के बूके देना पसंद करते हैं। भारत में फूलों की वार्षिक घरेलू मांग 25 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से बढ़ रही है। फूल बाज़ार की बात करें तो यह लगभग 262 अरब रुपयों अधिक है और हर साल बढ़ता ही जा रहा है। ऐसे में फूलों की खेती मुनाफे का सौदा साबित हो सकती है।
आमतौर पर कट फ्लावर के रूप में डच रोज, जरबेरा, अर्किड, लिली, गुलदाउदी, कारनेशन और कई अन्य फूल शामिल हैं लेकिन इन सब में दिल के शेप वाले विदेशी फूल एंथुरियम सबसे ज्यादा टिकाऊ है। क्योंकि यह सामान्य परिस्थितियों में भी 20-25 दिनों तक ताजा बना रहता है। इस महंगे और देर तक टिकने वाले फूलों की खेती से मोटा मुनाफा कमाया जा सकता है।
कैसे करें एंथुरियम की खेती
एंथुरियम फूलों की सुंदरता और इसके खूबसूरत पौधे के कारण कट फ्लावर के रूप में और गमलों में लगाने के लिए इसे बेहद उपयुक्त माना जाता है। भारत में इसे केरल, तामिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में प्रचुरता से उगाया जाता है। दिल के आकार वाले ये फूल लाल, गुलाबी, सफेद, नारंगी, और क्रीम रंगों में खिलते हैं। छाया में पौधे की वृद्धि और विकास अच्छा होता है। खुली जगहों पर 75 परसेंट शेड नेट का उपयोग कर सकते हैं। 25-28 डिग्री तापमान पर फूलों की उपज अच्छी मिलती है।
एंथुरियम के विकास के लिए मिट्टी के मिश्रण का माध्यम उचित होना चाहिए जिससे हवा का संचार अच्छा हो और जिसमें पानी संरक्षण ज्यादा हो। इसके मिश्रण में चारकोल, नारियल छिलका, पेड़ की छाल, चावल की कुन्नी, कोको पीट, बालू, ईंट, पत्ती की खाद, नीम खल्ली के मिश्रण का प्रयोग किया जाता है। इस मिश्रण का पी.एच. मान 5.7 से लेकर 6.2 के बीच रखा जाता है।
एंथुरियमकी उन्नत क़िस्में
लाल किस्म – मिक्की माउस, चार्मी, इन्टी, टोटोरा, ओसाकी, कोजोहारा, कुमाना, टोयामो, रीओ, प्रोन्टी, मिरजाम और इनग्रीड,
नारंगी किस्म – नीटा, सनब्रस्ट, डायमंड जुबली, हवाई, फ्ला आरेन्ज, एवोगिन्गो, हॉर्निग ऑरेन्ज और हॉर्निग रूवीन
सफेद किस्मों में – मेनोआ मिस्ट, कार्मेलोन, पर्ल, कोटोपेक्सी, एक्रोपोलिस, जमाइका, मैरून मुनी, लीमा, जीसा और क्युबी
गुलाबी किस्म में- एब पीक, ब्लुस, मारिमान, कैन्डी स्ट्रीप, एवो एन्की, होनीटी, सरप्राइज, वीटनी सरीना, लुन्टी, लेडी जानी और पैराडाइज पिंक, जैसी क़िस्में शामिल हैं।
टिश्यू कल्चर से तैयार पौधे लगाना सही
इसके पौधे बीज, कटिंग और टिश्यू कल्चर से तैयार किए जाते हैं जिनमें टिश्यू कल्चर से तैयार किए गए पौधे, रोगमुक्त और जल्द फूल उत्पादन करने वाले होते हैं। इसलिए व्यावसायिक खेती के लिए टिश्यू कल्चर से तैयार पौधे लगाना सही होता है। नए पौधों को गमले या बेड में लगाया जाता है। 30 सें.मी. के गमले में मिट्टी के मिश्रण को भर कर एक पौधा लगाया जाता है। व्यावसायिक खेती के लिए शेडनेट का उपयोग किया जाता है जिसमें रेज्ड बेड में 30 बाई 30 या 40 बाई 40 सेंमी की दूरी पर पौधों को नमी वाले मौसम जैसे बरसात के बाद लगाना अच्छा होता है।
गर्मी में सुबह शाम हल्की सिंचाई करें
गर्मियों में पौधों की सुबह-शाम हल्की सिंचाई करनी चाहिए। जाड़े में दिन में एक बार जरूरत अनुसार पानी देना चाहिए। ज्यादा सिंचाई से पौधे को नुकसान पहुंचता है और बीमारियां होने की आशंका रहती है। खाद-उर्वरकों को सिंचाई के साथ देना पौधों के लिए लाभदायक होता है। एंथुरियम को वृद्धि और फूल उत्पादन के लिए खाद-उर्वरक की संतुलित मात्रा की ज़रूरत होती है। 200-250 किलो नाइट्रोजन, 200-150 किलो फॉस्फोरस और 250-300 किलो पोटाश प्रति वर्ष प्रति हेक्टेयर भूमि में मिलाना चाहिए। सूक्ष्म पोषक तत्वों को 10 किलो प्रति हेक्टेयर के हिसाब से मिट्टी में मिलाना चाहिए। इससे फूल अच्छे खिलते हैं और पौधों का विकास अच्छा होता है।
प्रति पौधा प्रति वर्ष 5-7 फूल मिलते हैं
एंथुरियम से प्रति पौधा प्रति वर्ष 5-7 फूल प्राप्त होते हैं। यह उपज किस्मों पर भी निर्भर करती है। जब फूल के स्पाइडेक्स पूरी तरह से खिल जाएं तभी फूलों को डंडी के साथ पौधे से काट कर पानी से भरी बाल्टी में रखना चाहिए। प्रति वर्ग मीटर 9 पौधे लगते हैं जिसमें प्रति पौध हर साल 5-7 फूल मिलते हैं। ऐसे में एक एकड़ में लगभग 36000 पौधे लगेंगे और इनसे साल भर में औसत 2,16,000 फूल मिलेंगे।