महाराष्ट्र में नई फसल मंडियों में आने लगी है। वहीं गेहूं की नई फसल आने के बावजूद महाराष्ट्र में इसकी महंगाई आसमान पर पहुंच गई है। ज्यादातर किसान पहले ही गेहूं बेच चुके थे, इसलिए अब व्यापारी इस महंगाई का फायदा उठा रहे हैं। बिना छिलके वाले और भूसी वाले गेहूं दोनों की कीमत में काफी वृद्धि हुई है। बारामती मंडी में 12 फरवरी को छिले गेहूं की कीमत 3150 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई थी। हालांकि, बीते सप्ताह इसी मंडी में गेहूं का भाव 4300 रुपये प्रति क्विंटल की रिकॉर्ड ऊंचाई पर था। उधर, लासलगांव विंचूर मंडी में 13 फरवरी को भूसा गेहूं का भाव 2800 रुपये प्रति क्विंटल तक था। अगले एक महीने तक गेहूं की कीमतों में तेजी जारी रहने की उम्मीद है क्योंकि उसके बाद नई उपज आएगी, जिससे कीमतों में थोड़ी कमी आएगी।
जानकारी के मुताबिक जालना जिले की अंबाद मंडी में गेहूं का भाव 3200 रुपये प्रति क्विंटल था। राज्य के अधिकांश मंदिरों में गेहूं एमएसपी से अधिक मूल्य पर बेचा जा रहा है। ज्यादातर में कीमत 2500 रुपये प्रति क्विंटल से ज्यादा चल रही है। जबकि सरकार ने 2022-23 सीजन के लिए गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 2125 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है।
महाराष्ट्र में गेहूं की खेती होती है बहुत कम
अब सवाल यह है कि गेहूं की कीमत इतनी ज्यादा क्यों है। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि इस साल सभी राज्यों में गेहूं की कीमतें एमएसपी से ऊपर चल रही हैं। गेहूं की कीमतें आम तौर पर उत्तर भारतीय राज्यों की तुलना में महाराष्ट्र में अधिक हैं। इसका कारण यह है कि यहां गेहूं की खेती कम होती है। देश के कुल गेहूं रकबे में महाराष्ट्र का हिस्सा केवल 2 प्रतिशत बताया गया है।
गेहूं की बाजार में मांग बढ़ी
साल 2022 से दुनिया के कई देशों में लोग गेहूं की महंगाई की मार झेल रहे हैं। भारत भी इसमें शामिल है। वर्ष 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद भारत ने रिकॉर्ड कई देशों को गेहूँ का निर्यात किया। साथ ही यह बात भी सामने आई कि लू की वजह से भारत में गेहूं की फसल को काफी नुकसान हुआ है और उत्पादन कम हुआ है। कहा जाता है कि ये दोनों ही कारण गेहूं की कीमत जो एक बार ऊपर चली गई थी, अभी तक नीचे नहीं आई है। सरकार ने घरेलू कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए 2022 से गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। लेकिन महाराष्ट्र जैसे कई राज्यों में गेहूं की कीमतें आसमान छू रही हैं।