किशनगंज : चाय के आगे दूसरे पेय पदार्थ फीके पड़ जाते हैं। हमारे जीवन में चाय का बहुत महत्व है। हम सुबह उठते ही चाय के साथ शुरुवात करते हैं और दिन में 3 से 4 बार पीते हैं। ऐसे में इसकी खेती की बात करें तो देश के राज्यों में इसकी खेती की जाती है। देश में बड़े पैमाने पर इसका उत्पादन होता है। बिहार सरकार ने चाय की खेती के लिए एक एकड़ क्षेत्रफल पर 4,94,000 की राशि निर्धारित की है ऐसे में जिन किसानों की लागत निर्धारित राशि से अधिक आएगी सरकार उन्हें 50% सब्सिडी देगी।
बिहार में कई प्रकार के फलों और सब्जियों की खेती की जाती है। राज्य के लाखों किसानों का कृषि मुख्य स्त्रोत है। यहां के किसान कई प्रकार फल और सब्जियों को उगाकर अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं। राज्य के अररिया,पूर्णिया, किसनगंज और कटियार जिले के किसान बड़े पैमाने पर चाय का उत्पादन करते हैं। इन जिलों के कई किसान सिर्फ चाय की खेती पर ही निर्भर है। सबसे खास बात यह है कि राज्य सरकार चाय की खेती करने वाले किसानों को प्रोत्साहन भी देती है।
सूबे के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने चाय की खेती करने वाले किसानों के लिए सब्सिडी देने का ऐलान किया है। बिहार सरकार विशेष विद्यानिक फसल योजना के चाय की खेती करने वाले किसान भाइयों को सब्सिडी दे रही है। जो किसान भाई एक एकड़ क्षेत्रफल में चाय की खेती करते हैं उन्हें इस योजना के तहत 50% सब्सिडी दी जाएगी।बिहार के किसान भाइयों के लिए यह सुनहरा अवसर है।
उद्यान निदेशालय के अधिकारीयों का मानना है कि सब्सिडी देने से किसान भाइयों की चाय की खेती के प्रति रूचि बढ़ेगी व किसान भाई खेती के लिए विचार भी करेंगे। चाय की खेती के लिए एक एकड़ क्षेत्रफल पर 4,94,000 की राशि निर्धारित की है ऐसे में जिन किसानों की लागत निर्धारित राशि से अधिक आएगी सरकार उन्हें 50% सब्सिडी देगी। यदि किसान भाई योजना के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो वे कृषि विभाग के दफ्तर में जाकर सम्पर्क कर सकते हैं।