अगर आपको पशुंओंकी देखभाल करने में रूचि है तो आप इसे अपना प्रोफेशन बना सकते हैं। इसके लिए आपको पशु चिकित्सक की डिग्री लेने की जरुरत नहीं है। आप ट्रेनिंग लेकर पशुओंको प्राथमिक उपचार दे सकते हैं। मध्यप्रदेश में बेरोजगार युवाओंके लिए सरकार गौसेवक प्रशिक्षण योजना चला रही है। इस योजना के जरिये राज्य के बेरोजगार युवाओंको रोजगार प्रदान करने की सरकार की कोशिश है।
क्या है राज्य सरकार की योजना
इस योजना का नाम गौसेवक प्रशिक्षण योजना है जो राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही है। इस योजना के माध्यम से राज्य के शिक्षित एवं साक्षर युवाओं को पशु चिकित्सा का प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया जा रहा है। जिन युवाओं के पास गाय हैं, उन्हें ट्रेनिंग दी जायेगी। जिससे सरकार का गायों की सेवा करने और उन्हें समय पर इलाज की सुविधा उपलब्ध कराने का उद्देश्य पूरा हो सकेगा।
योजना 2001 में शुरू की गई
यह योजना वर्ष 2001 में शुरू की गई थी और उस समय 1137 ग्राम सेवकों द्वारा पशु चिकित्सा कार्य शुरू किया गया था। जून 2023 में आई सरकार की एक रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने इस योजना के तहत करीब एक लाख युवाओं को ट्रेनिंग देने का लक्ष्य रखा था।
पशुपालन और डेयरी विभाग द्वारा प्रशासित
यह योजना मध्य प्रदेश सरकार के पशुपालन एवं डेयरी विभाग द्वारा संचालित है। इस योजना से प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद युवा गांव में रहकर इन जानवरों को चिकित्सा सुविधा प्रदान करके अपने लिए रोजगार शुरू कर सकते हैं। इससे पशुओं को सही समय पर शीघ्र चिकित्सा देखभाल मिल सकेगी।
प्रति माह 1000 रुपये का वजीफा
प्रशिक्षण के दौरान चयनित होने वाले युवाओं को 1000 रुपये प्रति माह वजीफा दिया जाता है। इसके साथ ही युवाओं को 1200 रुपये की एक किट भी दी जाती है। मध्य प्रदेश गौसेवक प्रशिक्षण योजना में युवाओं को यह प्रशिक्षण केवल छह महीने के लिए दिया जाता है।
लाभार्थी छह माह बाद दोबारा प्रशिक्षण के लिए आवेदन कर सकते हैं। पुनश्चर्या लाभार्थियों का चयन वरिष्ठता के आधार पर किया जायेगा। मध्य प्रदेश गौसेवक प्रशिक्षण योजना में 10वीं पास और 18 साल से 35 साल तक के युवा आवेदन कर सकते हैं। जैसा कि योजना के नाम से पता चलता है, प्रशिक्षित युवाओं को गौसेवक कहा जाएगा।