लोकसभा चुनाव के बीच महाराष्ट्र में नरेंद्र मोदी की सभा से पहले नाशिक में 50 से अधिक किसानों को हिरासत में लिए जाने का मामला सामने आया है। मोदी यहां एक चुनावी रैली को सम्बोधित करने आये थे। इस बीच किसानों की नाराजगी और भारी विरोध प्रदर्शन को देखते हुए पुलिस ने 50 से अधिक किसानों और महाविकास आघाडी के कुछ नेताओं को एहतियात के तौर पर हिरासत में ले लिया। बता दें की नाशिक में प्याज किसान प्याज के घटते दामों से केंद्र सरकार से नाराज है। हालांकि इन किसानों और नेताओं को रैली के बाद रिहा कर दिया गया।
अखबार द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार मोदी की रैली से पहले 50 से ज्यादा किसानों समेत विपक्ष के कुछ नेताओं को हिरासत में लिया गया था। इस बीच खबर यह भी है की प्याज किसानों और विपक्ष की तरफ से पिछले एक साल में निर्यात मूल्यों को लेकर केंद्र सरकार की तरफ से लिए गए खराब और अव्यवस्थित निर्णयों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने की योजना बनाई गई थी। बताया जा रहा है कि इन किसानों को नासिक की तहसील और गांवों में सुबह सात बजे से ही हिरासत में लिया गया था। शाम पांच के बाद इन किसानों को आजाद किया गया।
केंद्र सरकार की नीतियों से नाराज किसान
महाराष्ट्र में प्याज उत्पादक संघ में करीब 3.5 लाख प्याज उत्पादक किसान रजिस्टर्ड हैं। संघ के संस्थापक अध्यक्ष भरत दिघोले ने अखबार से कहा, ’19 अगस्त 2023 को केंद्र सरकार ने प्याज पर 40 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाई थी। 28 अक्टूबर 2023 को एक नया निर्णय लिया गया जिसके अनुसार निर्यातक को सरकार को प्रति टन प्याज के बदले 800 डॉलर का भुगतान करना होगा। फिर उसके बाद सात दिसंबर 2023 को विदेश व्यापार महानिदेशालय ने एक आदेश में ऐलान कर दिया कि प्याज निर्यात नीति में संशोधन किया जाएगा, ताकि इसे 31 मार्च 2024 तक प्रतिबंध से मुक्त रखा जा सके।’
किसानों के हक़ में नहीं लिया गया कोई निर्णय
उन्होंने आगे कहा, ‘हालांकि मार्च तक चुनाव आचार संहिता की घोषणा हो गई, और डायरेक्टर जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड ने एक और बयान जारी कर कहा कि निर्यात प्रतिबंध अगली सूचना तक जारी रहेगा। चार मई 2024 को प्रतिबंध जरूर हटाया गया लेकिन कुछ शर्तों के साथ। निर्यातक को अब सरकार को 550 डॉलर प्रति मीट्रिक टन का भुगतान करना होगा।’ दिघोले का इशारा इस मामले पर लगातार बदलती हुई नीति की तरफ था। दिघोले ने कहा कि महाराष्ट्र 50 से ज्यादा देशों को प्याज की सप्लाई करता है। उनका कहना था कि नौ महीने से ज्यादा हो गए हैं। अगर विपक्ष वाकई मदद करना चाहता तो वह उनकी चिंताओं को केंद्र तक पहुंचाकर अपना समर्थन दिखाता लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।
विपक्ष ने किसानों के हक़ में नहीं उठाई आवाज
दिघोले एनसीपी नेता शरद पवार पर भी बरसे। उन्होंने कहा कि अगर पवार वाकई किसानों की परवाह करते तो वो आसानी से हमारे मुद्दों को वाणिज्य मंत्री या गृह मंत्री तक ले जा सकते थे। किसानों का कहना है कि जब उन्हें हिरासत में लिया गया तो स्थानीय मीडिया ने उनकी सुध नहीं ली। दिघोले का कहना था कि प्रधानमंत्री मोदी से लेकर शरद पवार और उद्धव ठाकरे तक यहां मौजूद थे, लेकिन किसी ने भी उनके लिए कुछ नहीं कहा।