बिहार की महिला ने पराली में भी रोजगार के अवसर खोज लिए है। बिहार की रहने वाली सुनीता सिंह पराली से डेकोरेटिव आइटम्स बना रही हैं। सुनीता बीए पास हैं और उनकी उम्र 36 वर्ष है ।
नवंबर और दिसंबर के महीने में पराली हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोगों को के लिए एक नई मुसीबत बनकर सामने आती है है। पराली के धुएं के कारण लोगों की सांस लेना मुश्किल हो जाता है । खासकर दिल्ली में एक महीने तक गैस चैंबर में बदल जाती है। इस समय आसमान में धुंध छाई रहती है और लोगों की आंखों में जलन महसूस होती है। हालांकि पंजाब और हरियाणा की सरकारों ने पराली को लेकर कठोर नियम बनाए हैं और पराली जलाने वाले किसानों पर कार्यवाही की जाती है। पराली ना जलाने वाले किसानों का सरकार प्रोत्साहन करती है।
एक रिपोर्ट के मुताबकि बिहार की एक महिला किसान ने पराली का उपयोग बेहतर ढंग से कर रही हैं। इससे उन्हें आय भी हो रही है। यह महिला किसान सुनीता कुमारी काफी मेहनती और जुझारू हैं और वे 36 वर्ष की हैं। उनके पास 0.2 हेक्टेयर खेती करने योग्य भूमि है। वह इस खेत में धान की खेती करती हैं। हालांकि सुनीता पराली को आग लगाने की बजाय उसे सजावटी आइटम्स बनाती हैं। उन्हें इस कारोबार के लिए सरकार द्वारा कई पुरस्कार भी प्राप्त हुए हैं।
दूसरी महिलाओं को भी दे रही प्रशिक्षण
सुनीता ने बताया कि जब उन्होंने इस कार्य कि शुरुवात की थी तो लोग उनपर हस रहे थे लेकिन अब धीरे-धीरे लोगों का उनके प्रति नजरिया बदल गया है। आस पास के गावों की कई महिलाएं अब उनसे सजावटी आइटम्स बनाने के लिए प्रशिक्षण ले रही हैं। सुनीता के मुताबिक, दुनिया में कोई भी चीज बेकार नहीं होती है। हर चीज को किसी न किसी रूप में उपयोग किया जा सकता है। सुनीता तेहटा गांव जहानाबाद जिले की रहने वाली हैं और वह पराली से दीवारों पर सजाने वाले वॉल डेकोरेटिव आइटम्स तैयार करती हैं। उसके अलावा वह सीनरी भी बनाती हैं।
दोगुने दामों पर बेचती हैं पराली से बनी वस्तुवें
सुनीता के मुताबिक पराली से इन सजावटी आइटम्स को बनाने में काफी कम समय लगता है। उन्हें 8×10 इंच का एक फोटो फ्रेम बनाने में 150 रुपये की लागत आती है और इसे वे उसे 300 रुपये में बेचती हैं। इससे वो एक फ्रेम पर दोगुना मुनाफा कमाती हैं। वे 1200 रुपये से 2400 रुपये में पराली से बने फ्रेमों को बेचती हैं। इससे वो अपने घर का खर्च चलाती हैं।