पहाड़ों में नहीं, बेंगलुरु के गर्म जलवायु में उगा दिए सेब

बेंगलुरु जैसे गर्म या नम क्षेत्र में भी सेब की खेती की जा सकती है। यकीन नहीं हो रहा ना लेकिन ये सच है। बेंगलुरु के होस्कोटे तालुका स्थित सिद्देनाहल्ली के किसान ने हिमाचल की ठंडी जलवायु में की जानेवाली सेब की खेती को गर्म प्रदेश में भी successfully कर दिखाया है।

वाल्मीकि की खेती में पेड़ों पर लगे सेब सभी के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। सेब की खेती से उन्होंने लाखों की कमाई की है। उनका सेब 120 रुपये प्रति किलो से बाज़ार में बिकता है।

कैसे की सेब की खेती की शुरुआत 

वाल्मीकि की ने सेब की खेती करीब दो साल पहले शुरू की। वे उससे पहले सब्जियों की खेती करते थे। उन्होंने यूट्यूब से कश्मीरी सेब के बारे में जाना और इसकी बागवानी में लग गए। उन्होंने ये यूट्यब पर सेब की खेती के बारे में बारीकी से जानकारी ली। अपनी ज़मीन में सेब की खेती के प्रयोग को सफल बनाने की प्रेरणा उन्हें तुमकुरू के एक किसान से मिली। वाल्मीकि उनसे मिले और सेब की खेती के बारे में जाना।

यूट्यूब और कश्मीर के किसानों से मिली ट्रेनिंग 

एक अखबार को दिए interview में किसान बासवराज वाल्मीकि कहा की मैं अपने खेत में कश्मीरी सेब उगाना चाह रहा था और इसके लिए मैंने हर तरह की कोशिश की। नर्सरी लगाने से लेकर पौधों की सिंचाई और कीटों के अटैक से बचाने के बारे में पूरी ट्रेनिंग ली। मैंने यूट्यूब के जरिये ही कश्मीर के किसानों से संपर्क किया और उनसे खेती के गुर सीखे। ये भी जाना कि सेब को अधिक पानी नहीं चाहिए बल्कि ड्रिप सिंचाई से पानी देने से फल अच्छे आते हैं।

800 किलो सेब 120 रुपये प्रति किलो के रेट बेचे

जहां तक कमाई की बात है तो किसान वाल्मीकि ने शुक्रवार, 29 मार्च को एक दिन में एक लाख से कुछ कम के सेब बेचे हैं। उन्होंने 800 किलो सेब 120 रुपये प्रति किलो के रेट बेचे हैं। इतने सेब उन्हें अपने 442 पौधों से मिले हैं। वे बताते हैं कि इसके अलावा 400-500 किलो सेब बाजार में जाने के लिए तैयार हैं। इस तरह उन्हें 50,000 से 60,000 रुपये की और भी आमदनी होने वाली है। वाल्मीकि कहते हैं कि एक पेड़ से उन्हें लगभग 5 किलो सेब मिल रहे हैं।

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