केन्द्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि देश में इस साल गेहूं का बेहतर उत्पादन होने की उम्मीद है। क्योंकि किसानों ने इस बार बंपर इलाके में गेहूं की बुआई की है। कृषि मंत्रालय के आँकड़ों के अनुसार फसल वर्ष 2023-24 के चालू रबी सीज़न के अंतिम सप्ताह तक किसानों ने 336.96 लाख हेक्टेयर में गेहूँ की बुवाई की है। जो पिछले वर्ष के 335.67 लाख हेक्टेयर से अधिक है। खास बात यह है कि अब गेहूं की बुआई पूरी हो चुकी है। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और पंजाब सबसे अधिक गेहूं रकबा वाले शीर्ष तीन राज्य हैं।
भारतीय खाद्य निगम के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अशोक के मीणा ने संकेत दिया कि अगर मौसम की स्थिति सामान्य रहती है तो देश चालू फसल वर्ष 2023-24 में 114 मिलियन टन गेहूं उत्पादन का नया रिकॉर्ड हासिल कर सकता है। फसल वर्ष 2022-23 में गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन 110.55 मिलियन टन रहा, जबकि पिछले वर्ष 107.7 मिलियन टन का उत्पादन हुआ था। इस वर्ष गेहूं की फसल की संभावनाओं के बारे में बताते हुए कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि गेहूं की फसल अच्छी स्थिति में है और अब तक किसी तरह के नुकसान की खबर नहीं है।
59 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं की बुवाई
उन्होंने कहा कि मौजूदा ठंडे मौसम की स्थिति गेहूं और अन्य रबी फसलों की वृद्धि के लिए अच्छी है। उन्होंने कहा कि इस साल पंजाब और हरियाणा दोनों में कुल गेहूं खेती के 70 प्रतिशत से अधिक रकबे में जलवायु प्रतिरोधी बीज बोए गए हैं। आंकड़ों से पता चलता है कि दोनों राज्यों ने मिलकर इस साल लगभग 59 लाख हेक्टेयर में गेहूं बोया है। यही वजह है कि सरकार ने इस बार गेहूं के बंपर उत्पादन की उम्मीद जताई है।
किसानों के लिए एडवाइजरी
हरियाणा के करनाल में भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान (आईआईडब्ल्यूबीआर) ने शीतलहर और भीषण ठंड के बीच किसानों के लिए परामर्श जारी किया है। एडवाइजरी में आईआईडब्ल्यूबीआर ने गेहूं उत्पादक किसानों को येलो रस्ट रोग से सावधान रहने की सलाह दी है। इसमें कहा गया है कि पिछले कुछ सालों से करनाल जिले में पीला रतुआ का प्रकोप बना हुआ है। इसलिए किसान समय-समय पर अपने खेतों में जाएं। अगर गेहूं के खेत में पीला रतुआ रोग का असर दिखे, तो समय रहते कीटनाशकों का छिड़काव करें।